रुपए में गिरावट: क्रिस्मस के बाद की स्थिति और कारण
रुपए की स्थिति में गिरावट
क्रिस्मस के बाद रुपए की स्थिति में गिरावट की किसी ने कल्पना नहीं की थी। करेंसी बाजार में भारतीय रिजर्व बैंक का प्रभाव कम होता दिख रहा है, जबकि कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि, विदेशी निवेशकों द्वारा बिकवाली, डॉलर की बढ़ती मांग और अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में देरी के कारण शुक्रवार को रुपए में भारी गिरावट आई है। एक डॉलर के मुकाबले रुपए की वैल्यू फिर से 90 के स्तर के करीब पहुंच गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि रुपए पर काफी दबाव है, और कारोबारी सत्र के दौरान यह 90 के स्तर को पार कर सकता है।
रुपए में आई बड़ी गिरावट
शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में रुपए ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 23 पैसे की गिरावट के साथ 89.94 पर कारोबार किया। विदेशी निवेश की निकासी और कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि ने इस पर नकारात्मक प्रभाव डाला। विदेशी मुद्रा व्यापारियों का कहना है कि घरेलू शेयर बाजारों में नकारात्मक रुझान, आयातकों द्वारा डॉलर की बढ़ती मांग और व्यापार समझौते को लेकर निवेशकों का विश्वास कमजोर हुआ है। इंटरबैंक विदेशी मुद्रा एक्सचेंज में, रुपए ने 89.84 पर शुरुआत की, लेकिन बाद में गिरकर 89.94 पर आ गया, जो पिछले बंद भाव से 23 पैसे कम है। बुधवार को, रुपए ने शुरुआती बढ़त खो दी और दिन के अंत में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले आठ पैसे गिरकर 89.71 पर बंद हुआ। इसका मतलब है कि रुपए में लगातार दूसरे कारोबारी दिन गिरावट आई है। क्रिस्मस के कारण गुरुवार को करेंसी बाजार और शेयर बाजार बंद थे।
आंकड़ों से समझें क्यों आई रुपए में गिरावट
- इस बीच, छह करेंसी के मुकाबले डॉलर की मजबूती का आकलन करने वाला डॉलर इंडेक्स 0.08 प्रतिशत गिरकर 97.89 पर कारोबार कर रहा था।
- अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाड़ी देशों का कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 0.16 प्रतिशत बढ़कर 62.34 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था।
- घरेलू शेयर बाजार की बात करें तो, शुरुआती कारोबार में 30 शेयरों वाला सूचकांक सेंसेक्स 183.42 अंक गिरकर 85,225.28 पर आ गया, जबकि निफ्टी 46.45 अंक गिरकर 26,095.65 पर पहुंच गया।
- एक्सचेंज आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बुधवार को 1,721.26 करोड़ रुपए की निकासी की। खास बात यह है कि दिसंबर के महीने में विदेशी निवेशक 13,177 करोड़ रुपए शेयर बाजार से निकाल चुके हैं।
विशेषज्ञों की राय
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी हेड और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा कि पिछले सप्ताह 89.00 के स्तर तक मजबूत होने के बाद, छुट्टियों के दौरान कम कारोबार के कारण रुपए फिर से कमजोर होना शुरू हो गया है। एफपीआई संक्षिप्त विराम के बाद इक्विटी बेचना और डॉलर खरीदना जारी रखे हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि महीने के अंत में डॉलर की मांग में वृद्धि होती है। वहीं, कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से रुपए की कमजोरी बढ़ रही है।
