राहुल गांधी ने CEC नियुक्ति पर उठाए सवाल, SC में सुनवाई का इंतजार

राहुल गांधी ने नए मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर कड़ी असहमति जताई है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह निर्णय आधी रात को लिया गया, जबकि सुप्रीम कोर्ट में चयन समिति की प्रक्रिया को चुनौती दी गई है। गांधी ने कहा कि यह कदम लोकतंत्र की ईमानदारी को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि नए CEC का चयन सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई तक टाल दिया जाए। जानें इस मामले में और क्या हो रहा है और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई की तारीख क्या है।
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राहुल गांधी ने CEC नियुक्ति पर उठाए सवाल, SC में सुनवाई का इंतजार

राहुल गांधी की असहमति नोट पर प्रकाश


राहुल गांधी की असहमति नोट: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने नए मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) की नियुक्ति पर अपनी कड़ी असहमति व्यक्त की है। उन्होंने मंगलवार को चयन समिति से भारत के मुख्य न्यायाधीश को बाहर करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के निर्णय की आलोचना की।


कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि यह निर्णय आधी रात को लेना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के लिए अनुचित है, खासकर जब चयन समिति की संरचना और प्रक्रिया को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है और सुनवाई 48 घंटे के भीतर होनी है। उन्होंने कहा कि यह कदम 2023 में आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश की मूल भावना का उल्लंघन है।


सोमवार शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में चयन समिति की बैठक हुई, जिसमें ज्ञानेश कुमार को नए सीईसी के रूप में नियुक्त किया गया। इस समिति में गृह मंत्री और राहुल गांधी भी शामिल थे। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने अपना असहमति नोट ‘एक्स’ पर साझा किया, जिसमें उन्होंने सुझाव दिया कि कोर्ट की सुनवाई तक इस बैठक को टालना चाहिए।


राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘अगले मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन करने के लिए हुई समिति की बैठक के दौरान मैंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को एक असहमति नोट प्रस्तुत किया, जिसमें कहा गया था कि कार्यपालिका के हस्तक्षेप से मुक्त एक स्वतंत्र चुनाव आयोग का सबसे बुनियादी पहलू चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनने की प्रक्रिया है।’


उन्होंने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करके और भारत के प्रधान न्यायाधीश को समिति से हटाकर, मोदी सरकार ने चुनावी प्रक्रिया की ईमानदारी को लेकर करोड़ों मतदाताओं की चिंताओं को बढ़ा दिया है। राहुल गांधी ने कहा, ‘नेता प्रतिपक्ष के रूप में यह मेरा कर्तव्य है कि मैं बाबासाहेब आंबेडकर और हमारे नीति निर्माता नेताओं के आदर्शों को कायम रखूं और सरकार को जिम्मेदार ठहराऊं।’


समिति की संरचना और प्रक्रिया को चुनौती
राहुल गांधी ने कहा कि समिति की संरचना और प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और 48 घंटे से भी कम समय में सुनवाई होनी है। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में नए सीईसी का चयन करना अनुचित है। असहमति नोट में राहुल गांधी ने 2023 के सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का उल्लेख करते हुए कहा, ‘दुर्भाग्य से उच्चतम न्यायालय के आदेश के तुरंत बाद भारत सरकार ने अगस्त, 2023 में एक कानून अधिसूचित किया, जिसने उच्चतम न्यायालय के आदेश की भावना को दरकिनार कर दिया।’


उन्होंने आरोप लगाया कि यह कदम उच्चतम न्यायालय के आदेश की मूल भावना का उल्लंघन है। कांग्रेस नेता ने 17 फरवरी की तारीख की इस नोट में कहा, ‘इस सरकारी आदेश को बाद में एक जनहित याचिकाकर्ता द्वारा चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 48 घंटे से भी कम समय बाद 19 फरवरी 2025 को इस मामले पर सुनवाई करने का संकेत दिया है।’


राहुल गांधी का कहना था कि इसलिए कांग्रेस पार्टी का मानना ​​है कि अगले सीईसी को चुनने की प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई तक टाल दिया जाए। उन्होंने कहा, ‘इस समिति के लिए अगले सीईसी को चुनने की अपनी प्रक्रिया को जारी रखना संस्थानों के साथ-साथ हमारे देश के नीति निर्माताओं के प्रति अनादर होगा।’


19 फरवरी को EC की नियुक्तियों पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) और निर्वाचन आयुक्तों (ईसी) की नियुक्तियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 19 फरवरी को प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई करेगा। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच को एक गैर सरकारी संगठन की तरफ से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सूचित किया कि संविधान पीठ के 2023 के फैसले में कहा गया था कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्तियां ऐसा पैनल करेगा जिसमें भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) भी शामिल होंगे।