महाकुंभ में 150 महिलाओं ने लिया संन्यास, कठिन प्रक्रिया से गुजरीं

महाकुंभ नगर में महिलाओं का संन्यास
महाकुंभ नगर में, लगभग 150 महिलाओं ने अपने परिवारों का त्याग करते हुए संन्यास लेने का निर्णय लिया है। ये महिलाएं श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा से जुड़कर विधिपूर्वक संन्यास की प्रक्रिया को पूरा कर चुकी हैं।
रविवार की सुबह, श्री दशनामी संन्यासिनी जूना अखाड़ा में स्नान करने के बाद इनका मुंडन किया गया। मुंडन के बाद उन्हें सफेद वस्त्र पहनाए गए और गंगा में स्नान कराया गया। इसके बाद पिंडदान किया गया और सभी को संस्कारित करके नए नाम दिए गए।
महिलाओं को संन्यास देने की प्रक्रिया बेहद कठिन होती है। कोई भी महिला सीधे संन्यासी नहीं बन सकती। अखाड़े में संपर्क करने पर उनकी पारिवारिक, शैक्षणिक और चारित्रिक जांच की जाती है। यह जांच गुप्त रूप से की जाती है। सभी मानदंडों पर खरा उतरने पर उन्हें महिला आश्रम में रखा जाता है।
महिलाओं को नागा बनाने की प्रक्रिया में, उन्हें सुबह मंत्रोच्चार के बीच गंगा में 108 बार डुबकी लगानी होती है। इसके बाद वे अपने पूर्व रिश्तों से संबंध समाप्त कर देती हैं। इसके बाद, अखाड़े के धर्मध्वजा के नीचे विजया हवन किया जाता है और नागा बनने की विधिवत दीक्षा ली जाती है।
महिला नागा का समाज से अलग जीवन
इन महिलाओं को अब माई, अवधूतानी, संन्यासिनी या साध्वी के नाम से जाना जाएगा। जो महिलाएं दिगंबर (निर्वस्त्र) रहती हैं, उन्हें समाज से दूर रखा जाता है। ये संन्यासिनियाँ गुफाओं में रहती हैं और अधिकतर बिना सिले केवल एक वस्त्र पहनती हैं, जिसे गंती कहा जाता है।
अखाड़ों में शैव, वैष्णव और उदासीन सम्प्रदाय के संत होते हैं, जिनमें महिला नागा भी शामिल हैं। ये सभी अपने-अपने अखाड़े की परंपरा के अनुसार भजन-पूजन में लीन रहती हैं। धार्मिक कार्यों में भाग लेने वाली संन्यासिनियों को महंत, श्रीमहंत या महामंडलेश्वर का दर्जा दिया जाता है।
हालांकि, जिन महिलाओं में चारित्रिक दोष होते हैं या जो आर्थिक गबन में शामिल होती हैं, उन्हें संन्यास नहीं दिया जाता। अनुशासनहीनता या आपराधिक गतिविधियों में लिप्त महिलाओं को भी संन्यास नहीं मिलता।
महिला नागा साधुओं की दुनिया अलग होती है। इनकी शिविर में बिना अनुमति के कोई भी आम व्यक्ति प्रवेश नहीं कर सकता। ये साधु भगवान दत्तात्रेय की मां अनुसुइया को अपनी ईष्ट मानकर उनकी आराधना करती हैं। वर्तमान में कई अखाड़ों में महिलाओं को नागा साधु की दीक्षा दी जा रही है।