मध्य प्रदेश में नर्सिंग शिक्षा में सुधार की उम्मीदें: उच्च न्यायालय का हस्तक्षेप
नर्सिंग काउंसिल ने शुरू की काउंसलिंग प्रक्रिया

मध्य प्रदेश में नर्सिंग शिक्षा में लंबे समय से चल रही समस्याओं और प्रशासनिक लापरवाहियों के चलते, उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद नर्सिंग काउंसिल ने पीजी कोर्स (पोस्ट बीएससी नर्सिंग और एमएससी नर्सिंग) के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया आरंभ कर दी है।
लापरवाही के कारण जीरो ईयर की स्थिति
हर साल नर्सिंग शिक्षा काउंसलिंग के दौरान चर्चा का विषय बनती है। इस बार, चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण सत्र 2023-24 में जीरो ईयर घोषित करना पड़ा। 2024-25 में केवल 25 से 30 प्रतिशत सीटों पर ही प्रवेश हो सका। अब 2025-26 के सत्र में भी यही स्थिति बनती दिख रही थी, लेकिन कोर्ट के आदेश ने सुधार की संभावनाएं बढ़ा दी हैं।
खाली सीटों की समस्या
परमार ने जानकारी दी कि पीबी बीएससी नर्सिंग में सरकारी कॉलेजों की 400 सीटों में से केवल 334 पर ही प्रवेश हुआ, जबकि 66 सीटें खाली रह गईं। निजी कॉलेजों में 3376 सीटों के मुकाबले केवल 350 छात्रों ने प्रवेश लिया, जिससे 3018 सीटें रिक्त रहीं।
एमएससी नर्सिंग में भी स्थिति चिंताजनक
एमएससी नर्सिंग में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है। सरकारी कॉलेजों की 405 सीटों में से 335 पर प्रवेश हुआ, जबकि 70 सीटें खाली रहीं। निजी कॉलेजों में 1551 सीटों में से केवल 431 सीटें भरी जा सकीं, जिससे 1120 सीटें खाली रह गईं। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि कुल मिलाकर केवल लगभग 25 प्रतिशत सीटों पर ही प्रवेश हुआ है, जबकि करीब 75 प्रतिशत सीटें खाली पड़ी हैं। पिछले तीन वर्षों से नर्सिंग में बड़ी संख्या में सीटें खाली हैं, जिससे शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है।
