मध्य प्रदेश में नए चीते लाने की तैयारी, 8 चीतों का आगमन
चीता प्रोजेक्ट के तहत 8 नए चीते

नए साल 2026 में मध्य प्रदेश को बोत्सवाना से अफ्रीकी चीतों की एक नई खेप मिलने की उम्मीद है। यह चीते अफ्रीका के गैबोरोन में मोकोलोड़ी नेचर रिजर्व में आयोजित एक समारोह के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपे गए हैं। इनमें 2 नर चीतों के साथ कुल 8 चीतों को कालाहारी के घांजी क्षेत्र से लाया जाएगा, जिन्हें एक महीने के क्वारंटाइन के बाद कूनों नेशनल पार्क में स्थानांतरित किया जाएगा। केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस उपलब्धि पर खुशी व्यक्त की है.
क्वारंटाइन प्रक्रिया और भारत में लाने की योजना
चीता परियोजना से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, राष्ट्रपति के अफ्रीका दौरे के दौरान सौंपे गए ये चीते बोत्सवाना में कम से कम एक महीने का क्वारंटाइन पूरा करेंगे। इसके बाद विशेषज्ञों की सलाह पर इन्हें विशेष विमान से भारत लाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इन चीतों के अंतरमहाद्वीपीय परिवहन की अनुमति मिलने के बाद ही इन्हें भारत लाने की योजना बनाई जाएगी.
कूनों में चीता प्रोजेक्ट की शुरुआत
चीता प्रोजेक्ट की महत्वाकांक्षी योजना का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। 2022 में भारत में पहली बार नामीबिया से 8 चीतों को लाया गया था, इसके बाद फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों का आगमन हुआ। अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अफ्रीका दौरे के दौरान बोत्सवाना ने 8 चीतों को भारत के लिए सुपुर्द किया है। इन चीतों के स्वागत के लिए कूनों में एक कार्यक्रम आयोजित किया जा सकता है, जो सहरिया जनजातीय क्षेत्र है.
दिसंबर अंत तक प्रक्रिया का समापन
इन चीतों को भारत के कूनों नेशनल पार्क में लाया जाएगा, और दिसंबर के अंत तक यह प्रक्रिया पूरी होने की संभावना है। इसके बाद इन्हें एक महीने के लिए फिर से कूनों में क्वारंटाइन रखा जाएगा। इसके बाद यह तय किया जाएगा कि इनकी शिफ्टिंग कहां की जाएगी। मंदसौर की गांधी सागर वाइल्डलाइफ सेंचुरी में 8 चीतों के लिए स्थान तैयार किया गया है, लेकिन वहां वर्तमान में केवल 3 चीतों का ही निवास है. इसके अलावा, रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के नौरादेही जंगल को भी चीते के लिए तैयार किया जा रहा है.
बोत्सवाना के चीतों का महत्व
बोत्सवाना विश्व में सबसे बड़ी जंगली चीता आबादी वाले देशों में से एक है। यहां से भेजे जा रहे 8 चीते भारत की परियोजना के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये आनुवंशिक विविधता को बढ़ाएंगे और वन्यजीव संरक्षण के ढांचे को मजबूत करेंगे। मध्य प्रदेश में चीतों की कुल संख्या 27 है, जिनमें से 16 भारतीय धरती पर पैदा हुए हैं, जिनमें 24 कूनों में और 3 गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में निवास कर रहे हैं.
