मद्रास हाईकोर्ट ने कंडक्टर की बहाली का आदेश दिया, 8 साल बाद मिली न्याय की उम्मीद

कंडक्टर की बर्खास्तगी का मामला
तमिलनाडु स्टेट ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (TNSTC) ने आठ साल पहले एक कंडक्टर को नौकरी से निकाल दिया था। यह कार्रवाई उस समय की गई जब औचक निरीक्षण में उसके कलेक्शन बैग से 7 रुपए अधिक पाए गए थे।
हाल ही में मद्रास हाईकोर्ट ने TNSTC को कड़ी फटकार लगाते हुए कंडक्टर की एक सप्ताह के भीतर बहाली का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि कंडक्टर को दी गई सजा ने न्याय की भावना को ठेस पहुंचाई है।
यह मामला 2015 का है, जब TNSTC (विल्लुपुरम डिवीजन) ने एक बस में चेकिंग की। इस दौरान कंडक्टर अय्यनार के कलेक्शन बैग में काटे गए टिकटों के मुकाबले 7 रुपए अधिक मिले। 10 दिसंबर 2015 को कॉर्पोरेशन ने कहा कि इससे राजस्व में कमी आई है और अय्यनार को तुरंत बर्खास्त कर दिया गया।
अय्यनार ने इस निर्णय को मद्रास हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उनके वकील एस एलमभारती ने इस मामले को उठाया और बिना किसी फीस के मदद करने की इच्छा जताई।
सुनवाई के दौरान जस्टिस पीबी बालाजी ने कॉर्पोरेशन को जमकर लताड़ा। उन्होंने कहा कि 7 रुपए अधिक लेने के कारण निगम के राजस्व को नुकसान होने की कल्पना नहीं की जा सकती। अय्यनार को दी गई सजा अत्यधिक असंगत है और यह अदालत की अंतरात्मा को झकझोर देती है।
कॉर्पोरेशन ने अय्यनार पर आरोप लगाया था कि उसने एक महिला यात्री से टिकट का पैसा लिया लेकिन उसे टिकट नहीं दिया। जांच में उसके कलेक्शन बैग में 7 रुपए अधिक पाए गए।
अय्यनार के वकील ने इन आरोपों को गलत बताया। उन्होंने कहा कि अय्यनार ने सभी यात्रियों को टिकट दिए थे। एक महिला ने टिकट खो दिया और चेकिंग के दौरान उसने कंडक्टर पर आरोप लगाया। कलेक्शन बैग में मिले 2 रुपए एक यात्री को वापस करने थे।
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि अय्यनार के वकील की दलीलें संतोषजनक हैं। कॉर्पोरेशन को आदेश दिया गया कि वह अय्यनार की एक सप्ताह के भीतर बहाली करे।