भुजंगासन योग: स्वास्थ्य के लिए लाभकारी आसन

भुजंगासन योग एक प्रभावी प्राणायाम है जो फेफड़ों, रीढ़ की हड्डी और पेट से जुड़ी समस्याओं का समाधान करता है। इस लेख में, हम भुजंगासन के सही तरीके, इसके अद्भुत स्वास्थ्य लाभ और कुछ महत्वपूर्ण सावधानियों के बारे में जानेंगे। यह आसन न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। जानें कैसे आप इसे अपने दैनिक जीवन में शामिल कर सकते हैं।
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भुजंगासन योग: स्वास्थ्य के लिए लाभकारी आसन

भुजंगासन योग | Bhujangasana Yoga

वर्तमान चिकित्सा विज्ञान में कई बीमारियों का इलाज संभव नहीं है। लेकिन एक अन्य विधि, योग, में अनेक बीमारियों का समाधान मौजूद है।


योग के माध्यम से कई प्रकार की बीमारियों का उपचार किया जा सकता है। इसमें विभिन्न प्राणायाम शामिल हैं, जो स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।


भुजंगासन एक ऐसा प्राणायाम है, जो फेफड़ों, रीढ़ की हड्डी, छाती और पेट से संबंधित समस्याओं का समाधान करता है।


भुजंगासन करने का तरीका

इस आसन को करने के लिए पेट के बल लेटें, पैरों को एक साथ मिलाएं और उन्हें सीधा रखें। तलवे ऊपर की ओर रहें। हाथों को छाती के पास फर्श पर रखें और कोहनियों को मोड़ें। फिर धीरे-धीरे सिर, गर्दन, छाती और पेट को ऊपर उठाएं।


इस दौरान पैरों की उंगलियों से लेकर नाभि तक का हिस्सा जमीन पर स्थिर रहना चाहिए। गर्दन को तानते हुए सिर को पीछे की ओर उठाएं और दृष्टि को ऊपर की ओर रखें।


आसन तब पूरा होगा जब आपका सिर, गर्दन, छाती और कमर का ऊपरी हिस्सा सर्प के फण के समान ऊँचा हो जाए। इस स्थिति में 2-3 सेकंड तक सांस रोकें। यदि सांस रोकना संभव न हो, तो सामान्य रूप से सांस लें। फिर छाती को जमीन पर रखें और शरीर को ढीला छोड़ दें। भुजंगासन को तीन बार दोहराना पर्याप्त है।


विशेष ध्यान दें

यह आसन सभी उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद है। प्रतिदिन दो मिनट का अभ्यास करें।


हालांकि, हर्निया के रोगियों को यह आसन नहीं करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को भी इसे करने से बचना चाहिए। जो लोग धनुरासन नहीं कर सकते, उन्हें भी इसका लाभ मिल सकता है।


सुबह और शाम तीन-चार मिनट का अभ्यास गैस की समस्या में राहत देता है।


भुजंगासन के अद्भुत फायदे

यह आसन रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है और छाती तथा पीठ की समस्याओं को दूर करता है। यदि रीढ़ की हड्डी में कोई विकृति है, तो यह आसन उसे ठीक कर सकता है।


भुजंगासन से कमर पतली और सीना चौड़ा होता है। यह बढ़े हुए पेट और बैडोल कमर को सुडौल बनाता है।


युवाओं के लिए यह आसन शारीरिक कमजोरी को दूर करने में मददगार है। यह पीठ, छाती, हृदय, कंधे और गर्दन की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।


इससे नाड़ी तंत्र मजबूत होता है और आधे सिर का दर्द भी कम होता है। गुर्दे का कार्य सुधरता है और थकावट दूर होती है।


हृदय रोग में भी यह आसन लाभकारी है, जिससे रक्त का संचार बेहतर होता है। पेट की समस्याओं जैसे कब्ज और गैस में भी राहत मिलती है।


महिलाओं के लिए यह आसन मासिक धर्म की समस्याओं को दूर करता है और यौवन को बनाए रखता है।