भारत के निर्यात में आने वाली चुनौतियाँ: 2026 में कठिन दौर की चेतावनी
आर्थिक संकट की चेतावनी
नए वर्ष के आगमन से पहले, देश को एक गंभीर चेतावनी मिली है। अगले वर्ष भारत को आर्थिक मोर्चे पर एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। एक रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि 2026 में भारत को वैश्विक व्यापार के सबसे कठिन दौर का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, यह भी कहा गया है कि भारत मौजूदा वित्त वर्ष के अंत तक अपने एक ट्रिलियन डॉलर के निर्यात लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाएगा।
निर्यात में धीमी वृद्धि
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि भारत के निर्यात में केवल 3 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है, जिससे निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करना कठिन होगा। खासकर, भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता न होने और अमेरिका द्वारा भारत के निर्यात पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के कारण स्थिति और भी जटिल हो गई है।
एक ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य अधूरा
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 में भारत के वस्तु और सेवा निर्यात में केवल 3 प्रतिशत की वृद्धि होकर यह लगभग 850 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। इसका मतलब है कि भारत का एक ट्रिलियन डॉलर का निर्यात लक्ष्य अधूरा रह जाएगा। जीटीआरआई ने वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों, कमजोर मांग और बढ़ते संरक्षणवाद को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है।
ग्लोबल ट्रेड का कठिन माहौल
जीटीआरआई ने चेतावनी दी है कि 2026 में भारत के निर्यात को वैश्विक व्यापार के सबसे कठिन माहौल का सामना करना पड़ सकता है। जब भारत निर्यात बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, तब विकसित देशों में बढ़ता संरक्षणवाद और वैश्विक मांग में कमी एक बड़ी चुनौती बन रही है।
बड़े व्यापार समझौतों की आवश्यकता
अजय श्रीवास्तव ने कहा कि जब तक भारत प्रमुख व्यापार साझेदारों के साथ बड़े समझौते नहीं करता, तब तक निर्यात में तेजी की संभावना नहीं है। उन्होंने अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ व्यापार समझौते की आवश्यकता पर जोर दिया।
नए बाजारों में विस्तार की जरूरत
श्रीवास्तव ने चेतावनी दी कि नए बाजारों में विस्तार करना तब तक पर्याप्त नहीं होगा जब तक भारत अपने निर्यात उत्पादों में विविधता नहीं लाता। उन्होंने कहा कि हमें अपने निर्यात पोर्टफोलियो में उच्च तकनीक वाले उत्पादों को शामिल करने की आवश्यकता है।
रुपए पर दबाव
श्रीवास्तव ने कहा कि रुपए पर दबाव मुख्य रूप से वैश्विक मौद्रिक नीति के कारण है। उन्होंने यह भी कहा कि निर्यात में सुधार से रुपए पर दबाव कम करने में मदद मिलेगी।
डब्ल्यूटीओ की भूमिका
उन्होंने भारत से विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया, यह कहते हुए कि यह संस्था पिछले कई वर्षों में सार्थक परिणाम देने में विफल रही है।
