भारत के अनोखे गांव: जुड़वा बच्चों से लेकर दरवाजे रहित घरों तक

अनोखे गांवों की विशेषताएं
भारत में अनेक गांव हैं, लेकिन कुछ गांव अपनी अनोखी विशेषताओं के लिए जाने जाते हैं। इनमें से कुछ गांवों में 400 से अधिक जुड़वा बच्चे हैं, जबकि कुछ गांवों में सभी घरों में दरवाजे नहीं हैं। आइए, इन गांवों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
जुड़वा बच्चों का गांव
केरल के मलप्पुरम जिले का कोडिन्ही गांव, जिसे 'ट्विन टाउन' के नाम से जाना जाता है, जुड़वा बच्चों की उच्चतम दर के लिए प्रसिद्ध है। यहां की जनसंख्या 2000 से अधिक है, जिसमें 400 से ज्यादा जुड़वा बच्चे शामिल हैं। यह गांव कोच्चि से लगभग 150 किमी दूर स्थित है और मुस्लिम समुदाय का एक प्रमुख केंद्र है।
दरवाजे रहित गांव

महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के नेवासा तालुका में स्थित शनि शिंगणापुर गांव में सभी घरों में दरवाजे नहीं हैं। यहां भगवान शनि की एक पांच फुट ऊंची मूर्ति है, जिसे गांव की सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी को नुकसान पहुंचाता है, तो उसे शनिदेव का प्रकोप झेलना पड़ता है।
धनवान गांव

हिवरे बाजार, जो महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित है, भारत के सबसे अमीर गांवों में से एक है। यहां 60 से अधिक करोड़पति और कई लखपति किसान रहते हैं। 1972 में गांव ने गरीबी का सामना किया, लेकिन 1990 में ग्राम प्रधान पोपटराव बागुजी पवार के प्रयासों से गांव ने समृद्धि की ओर कदम बढ़ाया।
भारत का पहला हरा गांव

नागालैंड के खोनोमा गांव को भारत का पहला हरा गांव माना जाता है। यहां 700 साल पुरानी अंगामी बस्ती और सीढ़ीदार खेत हैं। यह गांव आत्मनिर्भर है और यहां की मिट्टी उपजाऊ है, जिससे अच्छी खेती होती है।
दो देशों में बंटा गांव

लोंगवा गांव, जो नागालैंड के मोन जिले में स्थित है, भारत और म्यांमार की सीमा पर बसा हुआ है। यहां के मुखिया का घर सीमा के बीच में है, जिससे एक हिस्सा भारत में और दूसरा म्यांमार में है। यहां के लोग म्यांमार में भोजन करते हैं और भारत में सोते हैं।