भारतीय तटरक्षक बल का 27वां राष्ट्रीय प्रदूषण प्रतिक्रिया अभ्यास

भारतीय तटरक्षक बल (ICG) 5 और 6 अक्टूबर 2025 को चेन्नई तट के पास 27वीं राष्ट्रीय प्रदूषण प्रतिक्रिया अभ्यास (NATPOLREX-X) का आयोजन करेगा। इस अभ्यास में 29 देशों के 37 से अधिक विदेशी पर्यवेक्षक और 100 से अधिक राष्ट्रीय प्रतिनिधि भाग लेंगे। यह अभ्यास समुद्री तेल रिसाव की आपदा के समय भारत की तैयारी और कार्यकुशलता का मूल्यांकन करेगा। जानें इस महत्वपूर्ण अभ्यास के बारे में और कैसे यह समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया तंत्र को मजबूत करेगा।
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भारतीय तटरक्षक बल का महत्वपूर्ण अभ्यास

भारतीय तटरक्षक बल (ICG) 5 और 6 अक्टूबर 2025 को तमिलनाडु के चेन्नई तट के निकट 27वीं राष्ट्रीय स्तर की प्रदूषण प्रतिक्रिया अभ्यास (NATPOLREX-X) का 10वां संस्करण आयोजित करेगा। यह अभ्यास राष्ट्रीय तेल रिसाव आपदा योजना (NOS-DCP) की तैयारी बैठक के साथ होगा।


इस अभ्यास का उद्देश्य समुद्री तेल रिसाव की आपदा के समय भारत की तैयारी और कार्यकुशलता का मूल्यांकन करना है। इसके माध्यम से तटरक्षक बल और अन्य संबंधित एजेंसियों के बीच समन्वय और सहयोग को बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि किसी भी आपदा के समय की तैयारी को परखा जा सके।


समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया तंत्र का परीक्षण

यह अभ्यास समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया तंत्र के विभिन्न पहलुओं का परीक्षण करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सुनिश्चित करेगा कि एजेंसियां समुद्री रिसाव की आकस्मिकताओं से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए तैयार हैं।


अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की भागीदारी

इस अभ्यास में केंद्रीय मंत्रालयों, तटीय राज्य सरकारों, प्रमुख बंदरगाहों, तेल हैंडलिंग एजेंसियों और समुद्री संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। उल्लेखनीय है कि 29 देशों से 37 से अधिक विदेशी पर्यवेक्षक और 100 से अधिक राष्ट्रीय प्रतिनिधि भी इसमें भाग लेंगे, जिससे यह अभ्यास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण बन जाता है।


रिसाव से निपटने की तैयारियों का आकलन

NATPOLREX अभ्यास भारतीय तटरक्षक बल द्वारा आयोजित किया जाता है, जिसका उद्देश्य समुद्री तेल और अन्य हानिकारक पदार्थों के रिसाव से निपटने के लिए तैयारियों और समन्वय का परीक्षण करना है।


पिछला NATPOLREX-IX अभ्यास

NATPOLREX-IX का 9वां संस्करण 25 नवंबर 2023 को गुजरात के वाडिनार में आयोजित किया गया था। इस अभ्यास में केंद्रीय और तटीय राज्य सरकारों के विभिन्न मंत्रालयों, बंदरगाहों, तेल प्रबंधन एजेंसियों, विदेशी पर्यवेक्षकों और प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।