बोतल बंद पानी में प्लास्टिक के टुकड़े: स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा

हाल ही में एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि बोतल बंद पानी में लाखों प्लास्टिक के टुकड़े होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं। यह शोध बताता है कि एक लीटर पानी में औसतन 240,000 प्लास्टिक के कण पाए जाते हैं, जो पहले के अनुमानों से 100 गुना अधिक हैं। वैज्ञानिकों ने नई तकनीक का उपयोग करके नैनोप्लास्टिक्स की पहचान की है, जो मानव शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। जानें इस रिपोर्ट के बारे में और इसके स्वास्थ्य पर संभावित प्रभावों के बारे में।
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बोतल बंद पानी में प्लास्टिक के टुकड़े: स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा

बोतल बंद पानी में प्लास्टिक का खतरा


हम अक्सर बोतल बंद पानी का सेवन करते हैं, खासकर गर्मियों में, जब हर कोई इसे अपने साथ रखता है। लेकिन हाल ही में आई एक रिपोर्ट ने इस आदत पर सवाल उठाया है। एक अध्ययन के अनुसार, बोतल बंद पानी में लाखों प्लास्टिक के कण पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हो सकते हैं। यह शोध 'प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल अकैडमी ऑफ साइंसेस' में प्रकाशित हुआ है।


अध्ययन में यह पाया गया कि एक लीटर पानी की बोतल में औसतन 240,000 प्लास्टिक के टुकड़े होते हैं, जो पहले के अनुमानों से 100 गुना अधिक हैं। पहले के अध्ययनों में केवल माइक्रोप्लास्टिक के कणों की पहचान की गई थी। इस शोध में तीन प्रमुख कंपनियों के बोतल बंद पानी का परीक्षण किया गया, लेकिन कंपनियों के नाम का खुलासा नहीं किया गया।


वैज्ञानिकों ने बोतल बंद पानी में माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक की उपस्थिति के बारे में संदेह जताया था, लेकिन उनकी पहचान में कठिनाई हो रही थी। इसके लिए नई तकनीक, स्टीमुलेटेड रैमन स्कैटरिंग (एसआरएस) माइक्रोस्कोपी, का उपयोग किया गया। इस तकनीक ने यह दर्शाया कि नैनोप्लास्टिक्स माइक्रोप्लास्टिक्स की तुलना में अधिक खतरनाक होते हैं, क्योंकि ये मानव शरीर के पाचन तंत्र और फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं।


यह रिपोर्ट इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि नैनोप्लास्टिक्स स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं। ये कण दिमाग और दिल से होते हुए अजन्मे बच्चों तक पहुंच सकते हैं। हालांकि, इनके नुकसान के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं है, लेकिन यह माना जाता है कि ये गैस्ट्रिक समस्याओं और जन्म के समय शारीरिक असमानताओं का कारण बन सकते हैं।


माइक्रोप्लास्टिक वे कण होते हैं जो 5 मिलीमीटर से छोटे होते हैं, जबकि एक माइक्रोमीटर एक मीटर के अरबवें हिस्से को दर्शाता है। ये कण इतने छोटे होते हैं कि ये पाचन तंत्र से होते हुए फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं। हर साल दुनिया में 450 मिलियन टन से अधिक प्लास्टिक का उत्पादन होता है।