बिहार के बगहा में बाढ़ से बिगड़े हालात, लोग सड़कों पर रहने को मजबूर

बगहा (पश्चिम चंपारण), 10 जुलाई (आईएएनएस)। नेपाल और उतर प्रदेश की सीमा से होकर गुजरने वाली गंडक नदी में रविवार को 4 लाख 40 हजार क्यूसेक रिकॉर्ड पानी छोड़े जाने के बाद बगहा में बाढ़ के हालात बन गए हैं। बगहा के दियारावर्ती निचले इलाके के नवका टोला बिनवलिया गांव में लोगों के घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है, जिसके चलते ग्रामीण रतवल-धनहा को यूपी से जोड़ने वाली मुख्य सड़क किनारे टेंट और तंबू लगाकर गुजर बसर कर रहे हैं।
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बिहार के बगहा में बाढ़ से बिगड़े हालात, लोग सड़कों पर रहने को मजबूर

बगहा (पश्चिम चंपारण), 10 जुलाई (आईएएनएस)। नेपाल और उतर प्रदेश की सीमा से होकर गुजरने वाली गंडक नदी में रविवार को 4 लाख 40 हजार क्यूसेक रिकॉर्ड पानी छोड़े जाने के बाद बगहा में बाढ़ के हालात बन गए हैं। बगहा के दियारावर्ती निचले इलाके के नवका टोला बिनवलिया गांव में लोगों के घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है, जिसके चलते ग्रामीण रतवल-धनहा को यूपी से जोड़ने वाली मुख्य सड़क किनारे टेंट और तंबू लगाकर गुजर बसर कर रहे हैं।

बाढ़ के कारण ग्रामीणों को भोजन-पानी के लिए काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। हालांकि, अभी गंडक नदी के जलस्तर में गिरावट भी दर्ज की गई है। वाल्मीकि नगर बैराज से डेढ़ लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इसके बावजूद लोगों के लिए परेशानी बढ़ गई है। वहीं, जल संसाधन विभाग और प्रशासन भी अलर्ट मोड पर है।

दरअसल, गंडक नदी को बिहार-यूपी की लाइफ लाइन भी कहा जाता है। गंडक नदी धनहा-रतवल से होकर गुजरती है, इसके आसपास कई गांव मौजूद हैं। यही वजह है कि जैसे ही गंडक नदी उफान पर पहुंची, नवका टोला और बिनवलिया गांव में बाढ़ ने दस्तक दे दी। लोगों के घरों में बाढ़ का पानी घुसने के बाद ग्रामीणों ने मुख्य सड़क किनारे तंबू लगाकर शरण ली है।

बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि तंबू में ही उनका जीवन यापन चल रहा है। पिछले तीन चार दिनों से सड़क किनारे तंबू में रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि महज एक बार ही मुखिया द्वारा थोड़ा सा चूड़ा और गुड़ बांटा गया है। वे सड़क किनारे ही किसी तरह खाना बना रहे हैं और अपने बच्चों का पेट पाल रहे हैं।

लोगों का कहना है कि मुखिया ने कम्युनिटी किचन में खाने को कहा है, लेकिन वह यहां से काफी दूर है। इसी वजह से हम लोग जा नहीं सकते। ऐसे में अब सड़क किनारे रह रहे लोगों को बाढ़ का पानी कम होने का इंतजार है, ताकि वे फिर अपने घरों में लौट सकें।

--आईएएनएस

फैसल/एसकेपी