बांग्लादेश में हिंदू युवक की हत्या: परिवार की पीड़ा और सरकार की चुप्पी

बांग्लादेश में छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ गई हैं। हाल ही में, 25 वर्षीय दीपू चंद्र दास को ईशनिंदा के आरोप में भीड़ ने बेरहमी से मार डाला और उनके शव को आग के हवाले कर दिया। उनके पिता रविलाल दास ने सरकार की चुप्पी और निराशा व्यक्त की है, यह बताते हुए कि उन्हें अपने बेटे की मौत की जानकारी फेसबुक से मिली। जानें इस दुखद घटना की पूरी कहानी और इसके पीछे की सच्चाई।
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बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर बढ़ता खतरा

ढाका: बांग्लादेश में छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ गई हैं। हाल ही में, मैमनसिंह में एक भीड़ ने 25 वर्षीय दीपू चंद्र दास को ईशनिंदा के आरोप में पीट-पीटकर मार डाला और उनके शव को आग के हवाले कर दिया। इस घटना पर मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने दुख व्यक्त किया है और दोषियों को पकड़ने का आश्वासन दिया है, लेकिन यह केवल बयानबाजी तक सीमित प्रतीत होता है।


दीपू के पिता, रविलाल दास, ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वह सरकार के प्रति पूरी तरह निराश हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें किसी भी सरकारी अधिकारी या नेता से कोई आश्वासन नहीं मिला है, जिससे उनका दुख और बढ़ गया है।


रविलाल ने कहा कि उन्हें अपने बेटे की मौत की जानकारी फेसबुक से मिली। प्रशासन ने उन्हें इस बारे में कोई सूचना नहीं दी। उन्होंने बताया कि जब उन्हें पता चला कि उनके बेटे को बुरी तरह पीटा गया है, तब उनके चाचा ने उन्हें बताया कि दीपू को एक पेड़ से बांधकर जला दिया गया।


रविलाल ने कहा कि यह घटना बेहद दुखद है। उनके बेटे को न केवल मारा गया, बल्कि उसके शव को भी जलाया गया। उन्होंने कहा कि यह सब देखकर उनका दिल टूट गया है।


हालांकि, रविलाल यह नहीं बता पाए कि हमलावर किस संगठन से जुड़े थे। उन्होंने कहा कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि वे जमात-ए-इस्लामी के सदस्य थे या किसी अन्य छात्र संगठन से।


दीपू चंद्र दास एक गारमेंट फैक्ट्री में काम करते थे। गुरुवार रात, उन्हें इस्लाम का अपमान करने के आरोप में भीड़ ने बेरहमी से मार डाला। उनकी हत्या के बाद, शव को पेड़ से बांधकर आग लगा दी गई, जबकि कई लोग इस बर्बरता को मूकदर्शक बने देखते रहे।