प्री-ईएमआई और पूर्ण ईएमआई के बीच का अंतर समझें

घर खरीदना एक महत्वपूर्ण निर्णय है, और इसके लिए लोन की प्रक्रिया को समझना आवश्यक है। इस लेख में, हम प्री-ईएमआई और पूर्ण ईएमआई के बीच के अंतर को स्पष्ट करते हैं। जानें कि प्री-ईएमआई कब शुरू होती है, इसकी गणना कैसे होती है, और पूर्ण ईएमआई का क्या महत्व है। सही जानकारी के साथ, आप अपने घर के सपने को साकार करने में सक्षम होंगे।
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घर खरीदने का सपना और लोन की प्रक्रिया

हर किसी का सपना होता है कि वह अपना घर खरीदे। यदि आपने कभी अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी में निवेश करने के लिए किसी बिल्डर या बैंक से चर्चा की है, तो आपने 'फुल-ईएमआई' और 'प्री-ईएमआई' जैसे शब्द सुने होंगे। इस लेख में, हम इन दोनों के बीच के अंतर को स्पष्ट करेंगे।


प्री-ईएमआई की प्रक्रिया

प्री-ईएमआई तब शुरू होती है जब बिल्डर को लोन का पहला भुगतान मिल जाता है। जब आप 'प्री-ईएमआई' का विकल्प चुनते हैं, तो लोन को प्रॉपर्टी के निर्माण के आधार पर विभिन्न चरणों में बांटा जाता है। हालांकि, आपको दिए गए राशि पर ब्याज का भुगतान करना होगा, और पूर्ण भुगतान तब शुरू होगा जब आप प्रॉपर्टी का कब्जा लेंगे।


प्रिंसिपल और ब्याज का विवरण

ईएमआई में प्रिंसिपल और ब्याज दोनों शामिल होते हैं। जब बैंक आपके बिल्डर को लोन की पूरी राशि जारी करता है, तब आपकी ईएमआई शुरू होती है। प्रॉपर्टी के कब्जे के बाद मिलने वाली ईएमआई में भी प्रिंसिपल और ब्याज दोनों शामिल होते हैं, जिसे 'फुल ईएमआई' कहा जाता है।


प्री-ईएमआई की गणना

प्री-ईएमआई पर साधारण ब्याज लगाया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि आपने 50 लाख का लोन लिया है और पजेशन से पहले बिल्डर को 5 लाख का भुगतान किया है, और ब्याज दर 7.5% है, तो 5 लाख का 7.5% 37,500 रुपए होगा। इसे 12 महीनों में बांटने पर आपकी मासिक ईएमआई 3125 रुपए होगी।


ईएमआई किस्तों का विवरण

यदि 6 महीने बाद बिल्डर को फिर से 5 लाख का भुगतान किया जाता है, तो आपकी ईएमआई 3125 रुपए और बढ़कर 6250 रुपए हो जाएगी। जैसे-जैसे आप बिल्डर को भुगतान करते रहेंगे, आपकी ईएमआई किस्त में वृद्धि होती जाएगी।


पूर्ण ईएमआई की जानकारी

पूर्ण ईएमआई वह होती है जिसे आपको पूरी लोन राशि मिलने के बाद चुकाना होता है। इसमें ब्याज और मूल राशि दोनों शामिल होते हैं। यह ईएमआई तब तक चलती है जब तक लोन पूरी तरह से चुकता नहीं हो जाता। पूर्ण ईएमआई आमतौर पर प्रॉपर्टी के निर्माण के पूरा होने और होम लोन उधारकर्ता द्वारा कब्जा लेने के बाद शुरू होती है।