प्रयागराज महाकुंभ में खाद्य संकट और जाम की समस्या

महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भीड़
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में हर दिन लाखों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। देश के विभिन्न हिस्सों से लोग संगम में पवित्र स्नान करने के लिए आ रहे हैं। रविवार की छुट्टी के कारण मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि हो रही है।
जाम की समस्या
संगम तक पहुंचने वाले सभी मार्गों पर 10 से 15 किलोमीटर तक लंबा जाम लग गया है। वाराणसी, लखनऊ और कानपुर से प्रयागराज आने वाले रास्तों पर तो जाम की स्थिति 25 किलोमीटर तक पहुंच गई है।
खाद्यान्न की कमी
खाद्य सामग्री की कमी: शहर में आवश्यक वस्तुओं की कमी महसूस की जा रही है। पेट्रोल-डीजल के साथ-साथ खाने-पीने की चीजों की सप्लाई भी प्रभावित हो रही है। आने वाले दिनों में खाद्य सामग्री की कमी और बढ़ सकती है। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए शहर में भारी वाहनों की एंट्री पर रोक लगा दी गई है, जिसके कारण मालवाहक वाहनों की लंबी कतारें जिले की सीमा पर लग गई हैं।
पेट्रोल-डीजल की कमी: स्थानीय निवासियों के लिए यह स्थिति और भी कठिन हो गई है। पेट्रोल-डीजल की कमी के कारण उनके वाहन ठप हो गए हैं, जिससे उन्हें यात्रा करने में कठिनाई हो रही है। पेट्रोल पंप मालिकों का कहना है कि टैंकर जाम में फंसे होने के कारण यहां तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।
खाद्यान्न संकट का बढ़ता संकट
भीड़ के कारण खाद्यान्न संकट: महाकुंभ में बढ़ती भीड़ के साथ खाद्यान्न संकट भी गहराता जा रहा है। श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि के कारण होटल और खाने-पीने की दुकानों पर सामान की मांग बढ़ गई है, लेकिन आपूर्ति में कमी के कारण आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं।
व्यापारियों का कहना है कि उनके आटा, चावल और चीनी से भरे ट्रक खड़े हैं, जिससे ये सामान शहरवासियों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।
प्रयागराज में चारों ओर जाम की स्थिति के कारण न तो खाद्य सामग्री और सब्जियां उपलब्ध हो पा रही हैं और न ही दवाई, पेट्रोल-डीजल। इससे प्रयागराज और महाकुंभ परिसर में फंसे करोड़ों लोग भूखे-प्यासे हैं।
उद्योगों पर प्रभाव
प्रयागराज स्थित नैनी औद्योगिक क्षेत्र में मालवाहक वाहनों के नहीं आने के कारण उद्योगों में कच्चा माल नहीं पहुंच पा रहा है, जिससे उद्यमियों में निराशा बढ़ रही है। उन्होंने ट्रैफिक पुलिस और अन्य अधिकारियों से इस समस्या का समाधान करने की अपील की है ताकि उनकी मालवाहक गाड़ियां उद्योगों तक पहुंच सकें।