पीपल के पेड़ के वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व
पीपल का महत्व
भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि वृक्षों में वह पीपल हैं, जो हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। आज हम इसके पूजन के पीछे के वैज्ञानिक कारणों पर चर्चा करेंगे।
पीपल के औषधीय गुण
अथर्ववेद के उपवेद आयुर्वेद में पीपल के औषधीय गुणों का उल्लेख किया गया है, जो असाध्य रोगों के उपचार में सहायक होते हैं। इसके औषधीय गुणों के कारण इसे 'कल्पवृक्ष' भी कहा जाता है।
पीपल के सभी हिस्सों का उपयोग
पीपल के सभी हिस्से जैसे छाल, पत्ते, फल, बीज, दूध, जटा और कोपल विभिन्न प्रकार की बीमारियों के उपचार में उपयोगी होते हैं।
ऑक्सीजन का स्रोत
हिंदू धर्म में पीपल को अमृततुल्य माना जाता है, क्योंकि यह सबसे अधिक ऑक्सीजन का उत्पादन करता है। इसकी छाया में एक स्वास्थ्यवर्धक वातावरण बनता है, जो वात, पित्त और कफ को संतुलित करता है।
पीपल की पूजा
पीपल के वृक्ष की पूजा का मानना है कि इसमें सभी देवी-देवताओं का वास होता है। इसकी पूजा से ग्रह दोष भी शांत होते हैं।
पीपल के औषधीय उपयोग
पीपल के पत्तों का उपयोग कई बीमारियों के उपचार में किया जाता है। आइए जानते हैं इसके कुछ लाभ।
पीपल के पत्तों के फायदे
दिल के रोगों से सुरक्षा: पीपल के 15 ताजे पत्तों को उबालकर उसका सेवन करने से दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है।
दिल का दौरा: पीपल के ताजे पत्तों का उपयोग दिल के दौरे से बचाव में मदद करता है।
रक्तपित्त: पीपल के पत्तों का रस और शहद मिलाकर सेवन करने से हृदय में रुका हुआ खून साफ होता है।
अस्थमा: पीपल की छाल का चूर्ण अस्थमा के मरीजों के लिए फायदेमंद होता है।
सर्दी-खांसी: पीपल के पत्तों को दूध में उबालकर सेवन करने से सर्दी-खांसी में राहत मिलती है।
पीलिया: पीलिया के मरीजों के लिए पीपल के पत्तों का रस लाभकारी होता है।
अन्य स्वास्थ्य लाभ
पीपल के पत्तों का उपयोग दांतों की समस्याओं, पेट की गैस, त्वचा रोग, और अन्य कई स्वास्थ्य समस्याओं के लिए किया जा सकता है।
ध्यान देने योग्य बातें
पीपल का अधिक उपयोग सिरदर्द का कारण बन सकता है। इसके दोषों को दूर करने के लिए बबूल का गोंद और चंदन का उपयोग किया जा सकता है।