पीएम मोदी ने अजमेर दरगाह पर चादर चढ़ाने की परंपरा निभाई, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर चादर चढ़ाने की परंपरा

नई दिल्लीः राजस्थान के अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर हर साल होने वाले उर्स के अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा चादर चढ़ाने की परंपरा का पालन किया गया है। इस वर्ष 814वें सालाना उर्स के मौके पर पीएम मोदी ने आज चादर चढ़ाई। हालांकि, इस परंपरा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें इसे रोकने की मांग की गई थी।
814वें सालाना उर्स के अवसर पर पीएम मोदी की ओर से चादर चढ़ाने की परंपरा का पालन किया गया। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू पीएम की ओर से भेजी गई चादर लेकर अजमेर पहुंचे थे।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका
जब केंद्रीय मंत्री चादर लेकर अजमेर पहुंचे, तब सुप्रीम कोर्ट में पीएम और अन्य संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों द्वारा दरगाह में चादर चढ़ाने के खिलाफ याचिका दायर की गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। यह मामला प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की वेकेशन बेंच के समक्ष आया था। पीठ ने कहा, ‘आज सूचीबद्ध नहीं।’
याचिका का विवरण
यह याचिका विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन द्वारा दायर की गई है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता बरुन सिन्हा ने याचिका प्रस्तुत की है। कोर्ट ने उन्हें रजिस्ट्री से संपर्क करने के लिए कहा है।
याचिका में क्या कहा गया है
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि दरगाह जिस स्थान पर स्थित है, वहां पहले संकट मोचन महादेव मंदिर था। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के प्रधानमंत्री द्वारा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर चादर चढ़ाने की परंपरा की शुरुआत पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1947 में की थी, और यह तब से जारी है। इसका कोई कानूनी या संवैधानिक आधार नहीं है।
ऐतिहासिक संदर्भ
विदेशी आक्रमणों से जुड़े तथ्य
याचिका में कहा गया है कि ऐतिहासिक अभिलेखों से यह स्पष्ट होता है कि मोइनुद्दीन चिश्ती उन विदेशी आक्रमणों से जुड़े थे जिन्होंने दिल्ली और अजमेर पर विजय प्राप्त की और स्थानीय जनसंख्या का बड़े पैमाने पर दमन किया, जो भारत की संप्रभुता और सभ्यतागत मूल्यों के खिलाफ था।
अजमेर सिविल कोर्ट में मामला
अजमेर सिविल कोर्ट में भी याचिका दायर
इस मुद्दे पर अजमेर की सिविल अदालत में पहले से एक याचिका दायर है, जो विचाराधीन है। यह चुनौती हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से दी गई थी। इस पर गुरुवार को सुनवाई हुई थी, लेकिन अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। अगली सुनवाई की तारीख 3 जनवरी तय की गई है।
