पाकिस्तान कब्जे वाले कश्मीर में बढ़ते विरोध प्रदर्शन और हिंसा
POK में हालात बिगड़ते जा रहे हैं

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है। मुजफ्फराबाद सहित विभिन्न क्षेत्रों में पाकिस्तान विरोधी प्रदर्शनों की लहर चल रही है। हालात की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भीड़ पर गोलीबारी में अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है। कई वीडियो सामने आए हैं, जिनमें घायल लोग अस्पतालों में बिना प्राथमिक उपचार के तड़पते नजर आ रहे हैं। ‘ज्वाइंट आवामी एक्शन कमेटी’ ने पाकिस्तानी सेना और रेंजर्स पर बर्बरता का आरोप लगाया है। PoK के नेताओं का कहना है कि इंटरनेट बंद होने और सुरक्षा बलों की हिंसा ने क्षेत्र को पूरी तरह से ब्लैकआउट कर दिया है। यह मुद्दा अब संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) और ब्रिटिश संसदीय समिति तक पहुंच चुका है। यहाँ पर अब तक के शीर्ष 5 अपडेट दिए जा रहे हैं।
1. ‘आजाद कश्मीर’ का झूठा मुखौटा, नेताओं का आरोप- यह रियासत अपने ही लोगों को मार रही है
PoK के स्थानीय नेताओं ने पाकिस्तान पर तीखा हमला किया है। ज्वाइंट आवामी एक्शन कमेटी के शौकत नवाज मीर ने कहा, ‘यह रियासत अपने ही बच्चों को खा रही है’। एक अन्य नेता ने कहा, ‘आजाद कश्मीर वास्तव में आजाद नहीं है’। इन नेताओं का कहना है कि पाकिस्तान अपनी सेना के माध्यम से कश्मीरियों पर गोलियां चलवाकर उनके अधिकारों का हनन कर रहा है।
2. मुजफ्फराबाद में गूंजे नारे- ‘कातिलों जवाब दो, खून का हिसाब दो’
PoK की राजधानी मुजफ्फराबाद में रविवार को हजारों लोग सड़कों पर उतरे। पुलिस और रेंजर्स की फायरिंग में 8 प्रदर्शनकारियों की मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद भीड़ और भड़क गई और नारे लगे, ‘कातिलों जवाब दो, खून का हिसाब दो’। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में घायल पाकिस्तानी रेंजर्स जमीन पर पड़े कराहते हुए दिखाई दे रहे हैं, जो जनता के गुस्से का सामना नहीं कर पा रहे थे।
3. इंटरनेट बंदी का उपयोग आवाज दबाने के लिए
पूरे PoK में रविवार से इंटरनेट और फोन सेवाएं बंद कर दी गई हैं। UKPNP के नेता सरदार नासिर अजीज खान ने जेनेवा में UNHRC के 60वें सत्र में इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि 3 मिलियन कश्मीरी सीज में हैं। न इंटरनेट, न फोन, न मीडिया तक पहुंच। ये लोग केवल अपने बुनियादी अधिकारों की मांग कर रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान गोलियों और लाठियों से जवाब दे रहा है।
4. ब्रिटिश संसदीय समिति ने भी उठाई आवाज
ब्रिटेन की ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप (APPG) ने FCDO को पत्र लिखकर PoK में बिगड़ती स्थिति पर चिंता जताई। सांसद इमरान हुसैन ने लिखा कि संचार ब्लैकआउट के कारण उनके निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता अपने परिवारों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। APPG ने पाकिस्तान की कार्रवाई को ‘गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन’ बताया और ब्रिटिश सरकार से दबाव बनाने की अपील की।
5. पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ा दबाव
जेनेवा से लेकर लंदन तक PoK का दर्द उठ चुका है। स्विट्जरलैंड में UKPNP के प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान कश्मीरियों की आवाज दबाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं। ब्रिटेन में पाकिस्तानी दूतावास के बाहर भी कश्मीरी मूल के ब्रिटिश नागरिकों ने विरोध प्रदर्शन किया और वहां भी नारे लगे – ‘कातिलों जवाब दो’.