नवंबर 2025 में पंचक: शुभ कार्यों के लिए सही समय

नवंबर 2025 में आने वाला पंचक विशेष महत्व रखता है। यह 27 नवंबर से शुरू होकर 1 दिसंबर तक रहेगा। इस दौरान कुछ कार्य वर्जित हैं, लेकिन गुरुवार से शुरू होने वाला पंचक शुभ कार्यों के लिए अनुकूल माना जाता है। जानें इस पंचक के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं, साथ ही मंत्रों का जाप कैसे करें।
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पंचक का महत्व

हिंदू धर्म में पंचक को शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है। किसी भी संस्कार को संपन्न करने से पहले पंचक की स्थिति का ध्यान रखा जाता है। पंचक के दौरान कई कार्य वर्जित माने जाते हैं। हालांकि, नवंबर 2025 में आने वाला पंचक अशुभ नहीं होगा। आइए जानते हैं कि यह पंचक कब से कब तक रहेगा और इस दौरान क्या करना चाहिए।


नवंबर में पंचक की तिथियाँ

पंचांग के अनुसार, नवंबर में पंचक 27 नवंबर से शुरू होकर 1 दिसंबर 2025 तक रहेगा। यह 27 नवंबर को दोपहर 02:07 बजे प्रारंभ होगा और 1 दिसंबर, सोमवार को रात 11:18 बजे समाप्त होगा। 27 नवंबर को गुरुवार होने के कारण इसे अन्य पंचकों की तरह अशुभ नहीं माना जाता।


पंचक का समय

  1. शुरुआत: 27 नवंबर 2025, गुरुवार को दोपहर 2:07 बजे।
  2. समापन: 1 दिसंबर 2025, सोमवार को रात 11:18 बजे।


गुरुवार से प्रारंभ होने वाला पंचक

ज्योतिष के अनुसार, गुरुवार से शुरू होने वाला पंचक ‘दोषरहित पंचक’ कहलाता है, जिसमें कोई अशुभ प्रभाव नहीं होता। इस दौरान शुभ कार्य किए जा सकते हैं। यह पंचक भगवान विष्णु और बृहस्पति देव से संबंधित है, इसलिए इसमें वर्जित गतिविधियों को छोड़कर अन्य शुभ कार्य किए जा सकते हैं।


दोषरहित पंचक में वर्जित कार्य

दोषरहित पंचक के दौरान कुछ कार्य वर्जित हैं, जैसे घर की छत डालना, दक्षिण दिशा की यात्रा, चारपाई बनाना, लकड़ी इकट्ठा करना, और दाह संस्कार करना। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन कार्यों के अलावा गुरुवार से शुरू होने वाले पंचक में अन्य शुभ कार्य किए जा सकते हैं, जैसे विवाह और गृह प्रवेश।


पंचक मंत्र

पंचक के दौरान भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है। यदि आप भगवान गणेश की पूजा कर रहे हैं, तो “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप कर सकते हैं।


  • शिव पंचाक्षरी मंत्र: “ॐ नमः शिवाय”
  • महामृत्युंजय मंत्र: “ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ!”
  • गणेश मंत्र: “ॐ गं गणपतये नमः” या “ॐ एकदंत विघ्ननाशाय नमः”