दिल्ली धमाके की जांच: विस्फोटक सामग्री की कमी से बची बड़ी तबाही

दिल्ली में लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए धमाके में 9 लोगों की मौत और 20 से अधिक लोग घायल हुए। जांच में पता चला है कि विस्फोटक पूरी तरह विकसित नहीं था, जिससे बड़ा नुकसान टल गया। पुलिस ने संदिग्धों के संबंधों की जांच शुरू कर दी है, जिसमें जम्मू-कश्मीर के डॉक्टर उमर नबी का नाम सामने आया है। जानें इस मामले में और क्या खुलासे हुए हैं और सुरक्षा एजेंसियां किस प्रकार की कार्रवाई कर रही हैं।
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दिल्ली में धमाके की घटना

दिल्ली में सोमवार को लाल किला मेट्रो स्टेशन के निकट हुए विस्फोट में लगभग 9 लोगों की जान चली गई, जबकि 20 से अधिक लोग घायल हुए। इस घटना का संबंध फरीदाबाद में एक पूर्व धमाके से जुड़ा हुआ है, जहां हजारों किलोग्राम विस्फोटक सामग्री बरामद की गई थी। प्रारंभिक जांच से यह स्पष्ट हो रहा है कि विस्फोटक पूरी तरह से विकसित नहीं था, जिससे इसका प्रभाव सीमित रह गया। फॉरेंसिक जांच अभी भी जारी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि घटनास्थल पर किस प्रकार के विस्फोटक का उपयोग किया गया।


पुलिस की जांच और संभावनाएं

एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, यह संभावना है कि संदिग्ध फरीदाबाद में हुई छापेमारी से घबरा गया था, जिसके कारण उसने स्थान बदलने का प्रयास किया। इस हड़बड़ी के चलते अनहोनी की आशंका बढ़ गई। ऐसा प्रतीत होता है कि यह घटना एक आत्मघाती हमले के प्रयास में अनजाने में हुई। पुलिस आत्मघाती हमले के साथ-साथ अन्य पहलुओं की भी जांच कर रही है।


कार धमाके की जांच में नए खुलासे

जांच में यह भी सामने आया है कि जिस कार में धमाका हुआ, वह जम्मू-कश्मीर के पुलवामा निवासी डॉक्टर उमर नबी द्वारा चलाई जा रही थी। प्रारंभिक जांच में उसके फरीदाबाद में पकड़े गए आतंकवादी मॉड्यूल से संबंधों के संकेत मिले हैं। बताया जा रहा है कि उमर ने धमाके से पहले लगभग तीन घंटे तक कार में रुका और इंटरनेट के माध्यम से अपने सहयोगियों की गिरफ्तारी की जानकारी प्राप्त की।


फॉरेंसिक जांच के परिणाम

फॉरेंसिक जांच में यह संभावना जताई गई है कि उमर की कार में अमोनियम नाइट्रेट आधारित विस्फोटक हो सकता है, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि फाइनल रिपोर्ट के बाद ही की जाएगी।