तुर्की और बांग्लादेश की नई साजिश: भारत के खिलाफ बढ़ते रिश्ते

तुर्की और बांग्लादेश ने मिलकर भारत के खिलाफ एक नई साजिश रची है, जिससे वैश्विक समुदाय में हलचल मच गई है। बांग्लादेश, जो पाकिस्तान के रास्ते पर चल रहा है, तुर्की के साथ अपने संबंधों को और मजबूत कर रहा है। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन दक्षिण एशिया में हथियारों की बिक्री से लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि बांग्लादेश की वायुसेना तुर्की से अत्याधुनिक मिसाइलों की खरीदारी की योजना बना रही है। जानें इस गठजोड़ का भारत पर क्या असर पड़ेगा।
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भारत के दुश्मनों के साथ तुर्की का गठजोड़

दुनिया के किसी भी कोने में भारत का विरोधी देश हो, तुर्की हमेशा उसके साथ संबंध स्थापित कर लेता है। चाहे वह पाकिस्तान हो, चीन हो या बांग्लादेश। तुर्की का भारत के खिलाफ झुकाव और उसके दुश्मनों के साथ नजदीकी बढ़ने के पीछे क्या कारण हैं? हाल ही में तुर्की और बांग्लादेश ने एक ऐसा योजना बनाई है जिसने वैश्विक समुदाय को चौंका दिया है। बांग्लादेश, जो पाकिस्तान के रास्ते पर चल रहा है, अब तुर्की के साथ मिलकर एक नई साजिश रच रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शेख हसीना के शासन के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच संबंधों में नई ऊंचाइयां देखने को मिल रही हैं। पाकिस्तान भी तुर्की से बड़े पैमाने पर हथियार खरीद रहा है।


तुर्की का हथियार व्यापार और बांग्लादेश की वायुसेना

तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन को दक्षिण एशिया में हथियारों की बिक्री से बड़ा लाभ देखने को मिल रहा है। इस कारण, बांग्लादेश की वायुसेना तुर्की के क्रिटिक सेमी एक्टिव लेजर गाइडेड मिसाइलों की खरीदारी करने की योजना बना रही है, जिसमें मल्टीपवेज वारहेड भी शामिल है। इसके अलावा, तुर्की भविष्य में बांग्लादेश को जमीनी हथियारों और अटैक हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति करने की योजना बना रहा है। बांग्लादेश ने पहले ही तुर्की के बायर तार टीबी2 ड्रोन खरीदे हैं, जिससे वह भारतीय सीमा पर निगरानी रखता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, बांग्लादेश का रक्षा मंत्रालय एक टेंडर जारी करने की तैयारी कर रहा है, जिसमें तुर्की के क्रिटिक वेपन सिस्टम को खरीदना तय माना जा रहा है।


भारत पर तुर्की की मिसाइलों का प्रभाव

इन मिसाइलों की मदद से स्थिर लक्ष्यों और सड़क पर चलने वाले हथियारबंद वाहनों को नष्ट किया जा सकता है। तुर्की की यह मिसाइल 70 एमएम के रॉकेट और गाइडेड एंटी टैंक मिसाइल के बीच की दूरी को कम करने का कार्य करेगी। तुर्की की कंपनी का दावा है कि यह मिसाइल विभिन्न प्लेटफार्मों पर आसानी से फिट की जा सकती है।


दक्षिण एशिया में तुर्की का बढ़ता प्रभाव

हालांकि दिल्ली के लिए अपनी स्थिति को चुनौती देना स्वाभाविक नहीं है, लेकिन इसके प्रभाव की सीमाओं पर सवाल उठाए जा रहे हैं। पिछले साल, बांग्लादेश में भारत समर्थित सरकार के गिरने के बाद, भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। तुर्की-भारत संबंध आमतौर पर पाकिस्तान के दृष्टिकोण से देखे जाने की धारणा के कारण सावधानी से आगे बढ़े हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में इनमें सुधार हुआ है, विशेष रूप से ऑपरेशन सिंदूर के दौरान।