तिरुपति बालाजी में केश दान: पौराणिक कथा और महत्व

तिरुपति बालाजी मंदिर में केश दान एक प्राचीन परंपरा है, जो भक्तों की श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है। इस अनुष्ठान के पीछे एक दिलचस्प पौराणिक कथा है, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती है। जानें कि कैसे यह परंपरा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि एक वैश्विक व्यापार का हिस्सा भी बन चुकी है। इस लेख में हम तिरुपति बालाजी में केश दान के महत्व और उससे जुड़ी मान्यताओं के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
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तिरुपति बालाजी में केश दान: पौराणिक कथा और महत्व

तिरुपति बालाजी: केश दान की प्राचीन परंपरा

Why hair is donated in Tirupati Balaji, know the mythology and importance related to it


तिरुपति बालाजी मंदिर में भक्तों द्वारा केश दान करना एक प्राचीन परंपरा है, जो श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि जब भक्त अपने बालों का दान करते हैं, तो वे भगवान वेंकटेश्वर को अपनी इच्छाएं अर्पित करते हैं, और इसके बदले में उन्हें आशीर्वाद और समृद्धि प्राप्त होती है। इस धार्मिक अनुष्ठान के पीछे एक दिलचस्प पौराणिक कथा भी है, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती है।


महिलाएं और पुरुष दोनों करते हैं केश दान

तिरुपति बालाजी में केश दान: पौराणिक कथा और महत्व


क्या आप जानते हैं कि तिरुपति बालाजी मंदिर में केश दान एक महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा है? यहां हजारों श्रद्धालु अपनी आस्था व्यक्त करते हुए अपने बालों का दान करते हैं। यह परंपरा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक गहरी पौराणिक कथा और मान्यता भी है। आज हम आपको इस प्राचीन परंपरा के महत्व और उससे संबंधित कथा के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।


केश दान करने का कारण

तिरुपति बालाजी में केश दान: पौराणिक कथा और महत्व


तिरुपति बालाजी मंदिर में केश दान की परंपरा के पीछे यह मान्यता है कि इससे व्यक्ति के जीवन में धन संबंधी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं और मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है। यह विश्वास है कि बालों का दान करने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और भक्त अपनी सभी इच्छाओं की पूर्ति की कामना करते हैं। इस अनुष्ठान के माध्यम से भक्त अपनी भक्ति और समर्पण का प्रमाण देते हैं।


क्या है पौराणिक कथा?

तिरुपति बालाजी में केश दान: पौराणिक कथा और महत्व


पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति पर चीटियों का झुंड बन गया। एक गाय रोज वहां दूध गिराती थी। जब उसके मालिक ने यह देखा, तो गुस्से में उसने कुल्हाड़ी से वार किया, जिससे भगवान वेंकटेश्वर के सिर पर चोट लग गई और उनके बाल झड़ गए। उनकी मां, नीला देवी ने अपने बाल काटकर उनके सिर पर रखे, जिससे उनकी चोट ठीक हो गई। भगवान ने कहा कि जो भी भक्त उनके लिए अपने बालों का दान करेगा, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। तभी से यह परंपरा तिरुपति बालाजी में चली आ रही है।


केश दान परंपरा बना व्यापार का साधन

तिरुपति बालाजी में केश दान: पौराणिक कथा और महत्व


तिरुपति बालाजी मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु अपने बालों का दान करते हैं, जिन्हें विशेष प्रक्रिया के बाद ई-नीलामी के जरिए बेचा जाता है। इस नीलामी से करोड़ों रुपये जुटाए जाते हैं, जो मंदिर के विकास और सामाजिक कार्यों में लगते हैं। इन बालों की यूरोप, अमेरिका, चीन और अफ्रीका में विग और हेयर एक्सटेंशन के लिए भारी मांग है। इस प्रकार, बालों का दान धार्मिक महत्व के साथ-साथ एक वैश्विक व्यापार का हिस्सा बन चुका है।