ताशकंद समझौता: लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमय मौत का सच

ताशकंद समझौते का ऐतिहासिक महत्व
ताशकंद समझौता 10 जनवरी 1966: भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल अयूब खान के बीच 10 जनवरी 1966 को उजबेकिस्तान के ताशकंद में कई दौर की वार्ता हुई। इस वार्ता के परिणामस्वरूप भारत और पाकिस्तान के बीच एक समझौता हुआ, जिसे ताशकंद समझौते के नाम से जाना जाता है।
क्या आप जानते हैं कि इस समझौते के बाद क्या घटनाएँ घटीं और शास्त्री जी किस कारण से चिंतित थे? उनकी मृत्यु आज भी एक रहस्य बनी हुई है। आइए, हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
ताशकंद समझौते की आवश्यकता
वास्तव में, 1965 में पाकिस्तान ने बिना किसी उकसावे के भारत के खिलाफ कई मोर्चे खोले, जिससे युद्ध छिड़ गया। भारतीय सेना ने पाकिस्तान को कड़ा जवाब दिया और लाहौर तक पहुँच गई। इस स्थिति में पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र से मदद मांगी। इसके बाद, युद्धविराम हुआ और तत्कालीन सोवियत संघ ने दोनों देशों के बीच समझौते के लिए ताशकंद में वार्ता आयोजित की।
ताशकंद समझौते की वार्ता
ताशकंद में शास्त्री जी और जनरल अयूब खान के बीच कई दौर की बातचीत हुई। अंततः, दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ, जिसमें यह तय किया गया कि भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे के खिलाफ शक्ति का प्रयोग नहीं करेंगे। इसके अलावा, 25 फरवरी 1966 तक सेनाएँ सीमाओं पर लौटेंगी और दोनों देशों के बीच राजनैतिक संबंध पुनः स्थापित किए जाएंगे। इसके बाद, भारत ने हाजीपीर और ठिथवाल पाकिस्तान को वापस कर दिए।
लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिक्रिया
समझौते के बाद, रूस के प्रधानमंत्री अलेक्सी कोशिगिन ने एक रिसेप्शन का आयोजन किया, जिसमें शास्त्री जी ने भाग लिया। उस समय वे पूरी तरह स्वस्थ थे। रात करीब 11 बजे, जब वे अपने ठिकाने पर पहुंचे, तो उन्होंने अपने निजी सचिव से भारत में ताशकंद समझौते की प्रतिक्रिया जानने के लिए कहा। उन्हें बताया गया कि अटल बिहारी वाजपेयी और एसएन द्विवेदी ने आलोचना की है, लेकिन अधिकांश लोगों ने ताशकंद घोषणा का स्वागत किया।
शास्त्री जी का परिवार से संवाद
अपने सचिव से बात करने के बाद, शास्त्री जी ने अपने घर फोन किया। उनकी बेटी कुसुम ने फोन उठाया और कहा कि उन्हें यह समझौता पसंद नहीं आया। इस पर शास्त्री जी थोड़े चिंतित हो गए और अपने सहयोगियों से कहा कि जब परिवार को यह अच्छा नहीं लगा, तो बाहर वाले क्या कहेंगे। इसके बाद, अगले दिन उनकी मृत्यु की खबर आई, जिसने सभी को चौंका दिया।
जब ताशकंद से लाल बहादुर शास्त्री ने अपने घर किया फोन, बेटी बोली- बाबूजी हमें अच्छा नहीं लगा