डॉ. मोहन भागवत का हिंदुत्व पर विचार: समावेशिता का संदेश

डॉ. मोहन भागवत ने गुवाहाटी में हिंदुत्व की समावेशिता पर जोर दिया, यह बताते हुए कि मुस्लिम और ईसाई भी भारतीय संस्कृति का पालन करते हुए हिंदू माने जा सकते हैं। उन्होंने सामाजिक परिवर्तनों पर चर्चा की और मणिपुर में अपने आगामी दौरे की जानकारी दी। जानें उनके विचार और इस यात्रा का महत्व।
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हिंदुत्व की समावेशिता पर डॉ. भागवत का बयान

डॉ. मोहन भागवत का हिंदुत्व पर विचार: समावेशिता का संदेश


राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने हाल ही में कहा कि हिंदुत्व किसी सीमित दायरे में नहीं बंधा है, बल्कि यह एक समावेशी विचारधारा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि मुस्लिम और ईसाई भारतीय संस्कृति का सम्मान करते हैं, अपनी परंपराओं का पालन करते हैं और राष्ट्र के प्रति अपनी आस्था बनाए रखते हैं, तो वे भी हिंदू माने जाएंगे।


गुवाहाटी में संघ के शताब्दी समारोह के दौरान बुद्धिजीवियों, लेखकों और उद्यमियों को संबोधित करते हुए भागवत ने सामाजिक परिवर्तनों पर जोर दिया। उन्होंने सामाजिक सद्भाव, परिवार जागरण, नागरिक अनुशासन, आत्मनिर्भरता और पर्यावरण संरक्षण जैसे पांच महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की।


डॉ. भागवत ने गुरुवार को मणिपुर का दौरा किया, जहां वह तीन दिनों तक रहेंगे। इस दौरान वे नागरिकों, उद्यमियों और जनजातीय समुदाय के प्रतिनिधियों से संवाद करेंगे। 21 नवंबर को, वे मणिपुर हिल्स के जनजातीय नेताओं से भी मिलेंगे। यह यात्रा संघ के शताब्दी समारोह का एक हिस्सा है।