जावित्री: स्वास्थ्य के लिए अद्भुत औषधि

जावित्री का परिचय
जावित्री, जिसे अंग्रेजी में मेस कहा जाता है, का वैज्ञानिक नाम मिरिस्टिका फ्रेगरंस है। यह प्राकृतिक रूप से मिलने वाले अनमोल उपहारों में से एक है।
जावित्री के लाभ
इसका उपयोग कई देशों में न केवल खाना पकाने में, बल्कि औषधीय गुणों के लिए भी किया जाता है। जावित्री प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होती है, और इसमें औषधीय गुणों की प्रचुरता होती है, जिससे यह आपके रसोई में अनिवार्य हो जाती है।
जावित्री का उपयोग खाने में स्वाद और सुगंध बढ़ाने के लिए किया जाता है, लेकिन इसके औषधीय गुण कई स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में सहायक होते हैं। यह प्रोटीन, फाइबर, विटामिन, आयरन, कॉपर, मैग्नीशियम और एंटीऑक्सीडेंट से समृद्ध है।
जावित्री के स्वास्थ्य लाभ
जावित्री गठिया और हृदय रोगों के उपचार में सहायक होती है। इसके सेवन से सर्दी-खांसी जैसी समस्याओं में भी राहत मिलती है।
जावित्री मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द में भी प्रभावी होती है। यह एक शामक औषधि है और गठिया तथा कटिवात के उपचार में उपयोगी है। चीन में इसका उपयोग पेट दर्द और सूजन के इलाज में किया जाता है।
यह आपके पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करती है और पेट की सूजन, कब्ज और अपच के लिए लाभकारी होती है। जावित्री का उपयोग डायरिया के उपचार में भी किया जाता है।
यह रक्त संचार को बढ़ाती है और आपकी त्वचा और बालों को स्वस्थ रखती है। यह गंभीर बीमारियों और संक्रमणों से भी बचाती है। इसके अलावा, यह डायबिटीज के लिए भी फायदेमंद है।
जावित्री किडनी की सुरक्षा करती है और गुर्दे की पथरी बनने से रोकती है। यदि आपको गुर्दे की पथरी है, तो यह उसे धीरे-धीरे खत्म करने में मदद करती है।
जावित्री का उपयोग कैसे करें
जावित्री के बीज, शहद और दालचीनी का मिश्रण: यह मिश्रण रोगाणुरोधी और घाव की सड़न रोकने में मददगार होता है। तीनों सामग्री को समान मात्रा में मिलाकर हर सुबह लगाएं। 10-15 मिनट बाद ठंडे पानी से धो लें। इससे कील-मुहांसों में भी आराम मिलता है।
जावित्री के बीज का पाउडर और दूध का फेशियल: 1 चम्मच दूध में पाउडर मिलाकर अपने चेहरे पर लगाएं। 30 मिनट बाद ठंडे पानी से धो लें।
हृदय रोग के लिए: 10 ग्राम जावित्री, 10 ग्राम दालचीनी और 10 ग्राम अकरकरा मिलाकर रखें। इस चूर्ण को दिन में 3 बार शहद के साथ लेने से हृदय रोग में लाभ होता है।
दांतों के दर्द में: जावित्री, माजूफल और कुटकी मिलाकर काढ़ा बनाएं। गुनगुने काढ़े से कुल्ला करें।
सर्दी-खांसी: जावित्री को पीसकर शहद में मिलाकर गर्म पानी के साथ लें। यह अस्थमा रोगियों के लिए भी फायदेमंद है।
पाचन तंत्र: कब्ज, उल्टी, दस्त और गैस की समस्याओं के लिए जावित्री का गर्म पानी के साथ सेवन करें।