गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान: कश्मीरी पंडितों की रक्षा की कहानी

गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान कश्मीरी पंडितों की रक्षा की एक प्रेरणादायक कहानी है। जब औरंगजेब ने हिंदुओं पर अत्याचार शुरू किया, तो कश्मीरी पंडितों ने गुरुजी से मदद मांगी। जानें कैसे गुरुजी ने अपने साहस और बलिदान से उन्हें बचाने का निर्णय लिया। यह कहानी न केवल साहस की है, बल्कि धर्म और निष्ठा की भी है।
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औरंगजेब का अत्याचार

1661 में जब औरंगजेब ने बादशाह का पद संभाला, तो उसने मंदिरों को बंद करने का आदेश दिया, यह कहते हुए कि ये इमारतें पुरानी हो चुकी हैं। कई वर्षों तक मंदिर बंद रहे, और जब कोई विरोध नहीं हुआ, तो 1674 में उसने इन मंदिरों को ध्वस्त कर मस्जिदें बनाने का निर्देश दिया।


धर्म परिवर्तन का दबाव

हिंदुओं को मुसलमान बनाने के लिए अत्याचार और लालच का सहारा लिया जाने लगा। जो लोग धर्म परिवर्तन से इनकार करते, उनकी बहन-बेटियों को उठा लिया जाता और पुरुषों तथा बच्चों की निर्मम हत्या की जाती। हिंदू समाज के प्रमुख व्यक्तियों को पहले निशाना बनाया गया। आदेश दिया गया कि बड़े मंदिरों और तीर्थ स्थलों को नष्ट किया जाए और पहले ब्राह्मणों को मुसलमान बनाया जाए।


कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार

काजियों ने औरंगजेब को बताया कि कश्मीरी पंडित हिंदुओं में सबसे प्रतिष्ठित हैं, और यदि इन्हें मुसलमान बना दिया जाए, तो पूरा हिंदुस्तान इस्लाम स्वीकार कर लेगा। इस सलाह के बाद कश्मीरी पंडितों पर अत्याचारों की बाढ़ आ गई। उनकी संपत्तियाँ लूट ली गईं, महिलाओं के साथ अत्याचार हुआ और कई लोगों की हत्या कर दी गई।


कश्मीरी पंडितों की पुकार

इन अत्याचारों से परेशान कश्मीरी पंडितों ने अपने सूबेदार से कहा कि उन्हें विचार करने के लिए छह महीने का समय दिया जाए। सूबेदार ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। पंडितों ने सोचा कि इस संकट से कैसे बचा जाए। तभी पंडित कृपाराम ने सुझाव दिया कि किसी महापुरुष का सहारा लिया जाए। सभी का ध्यान गुरु नानक देव जी की गद्दी की ओर गया, और यह महसूस हुआ कि गुरु तेग बहादुर जी ही इस स्थिति का सामना कर सकते हैं।


गुरु तेग बहादुर जी का साहस

कश्मीरी पंडित आनंदपुर साहिब पहुंचे और गुरु तेग बहादुर जी के सामने अपनी दुखभरी कहानी सुनाई। गुरुजी ने कुछ समय तक चुप रहकर विचार किया। उनके पुत्र साहिबजादे गोविंद राय ने पूछा कि वे क्या सोच रहे हैं। गुरुजी ने कहा कि कश्मीरी पंडितों की रक्षा के लिए किसी महापुरुष का बलिदान देना पड़ेगा। गोविंद राय ने कहा कि इस समय आपसे बढ़कर और कौन महापुरुष हो सकता है।


गुरुजी की चुनौती

गुरुजी ने पंडितों से कहा कि औरंगजेब को बताएं कि यदि आनंदपुर के गुरु तेग बहादुर मुसलमान बन जाएं, तो वे सभी इस्लाम स्वीकार कर लेंगे। यह सुनकर औरंगजेब प्रसन्न हुआ और कहा कि एक व्यक्ति को मुसलमान बनाने से लाखों हिंदू मुसलमान बन सकते हैं।


दिल्ली की यात्रा

गुरुजी छह सिख साथियों के साथ दिल्ली के लिए रवाना हुए और गद्दी अपने पुत्र गोविंद राय को सौंप दी। कई सिख उनके साथ चलने आए, लेकिन गुरुजी ने जमीन पर लकीर खींचकर कहा कि कोई सिख इस लकीर के आगे नहीं आएगा। माता नानकी जी के उदास होने पर गुरुजी ने कहा कि इस जगत में कोई सदा नहीं रहता।


कैद और यातनाएँ

दिल्ली पहुँचकर गुरुजी और उनके सिखों को कैद कर लिया गया। काजियों ने कहा कि यदि वे सच्चे पीर हैं, तो करामात दिखाएं या मुसलमान बन जाएं। गुरुजी ने उत्तर दिया कि धर्म को छोड़ना महापाप है। उन्हें भूखा-प्यासा रखकर अत्याचार किए गए, और उनके सिखों को शहीद कर दिया गया। लेकिन गुरु तेग बहादुर जी अडिग रहे।