कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विस्तार के साथ ही मानव कौशल भी है जरूरी
नई दिल्ली, 25 सितंबर (आईएएनएस)। दुनिया में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) ने जब से दस्तक दी है, तब से पेशेवर स्किल्ड लोगों में एआई से अपनी नौकरी जाने का खतरा लगातार बना रहता है। एआई कम समय में सटीकता और बारीकी से कई लोगों का काम एक साथ कर सकती है। इसकी वजह से एआई का उदय होने के साथ ही पेशेवर लोगों का इसके प्रति नजरिया हमेशा नौकरी खत्म करने वाले कारक के रूप में रहा है।
लेकिन तकनीक बढ़ने के साथ उसके साथ समन्वय स्थापित करने वाले लोगों की जरूरत पड़ती है। हाल ही में जारी कॉर्नरस्टोन ऑन डिमांड व स्काई हाइव नामक सलाहकार कंपनियों की साझा ‘ग्लोबल स्टेट ऑफ द स्किल्स इकोनॉमी' रिपोर्ट में बताया गया है कि पूरी दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), मशीन लर्निंग (एमएल) और जनरेटर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (जेन एआई) जैसी डिजिटल स्किल्ड लोगों की मांग तेजी से बढ़ी है। भारत इस क्षेत्र में दुनिया के अन्य देशों पर बढ़त बनाता दिख रहा है।
वर्ष 2019 से एआई और मशीन लर्निंग से जुड़ी नौकरियों के विज्ञापनों में 65 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि जेनरेटिव एआई से संबंधित विज्ञापनों में 411 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है। जेनरेटिव एआई, जो रचनात्मकता पर केंद्रित है, अब तकनीकी उद्योगों से परे वित्त, स्वास्थ्य सेवा और बैंकिंग में भी अपनाया जा रहा है।
हालांकि डिजिटल स्किल्स की मांग बढ़ी है, मानव कौशल जैसे कि संचार, टीम निर्माण, और समस्या समाधान की मांग हमेशा अधिक रही है। आंकड़े बताते हैं कि वैश्विक स्तर पर इन सॉफ्ट स्किल्स की मांग डिजिटल कौशल की तुलना में दोगुनी है। विशेष रूप से उत्तर अमेरिका में, मानव कौशल की मांग डिजिटल कौशल से 2.4 गुना और ईएमईए की मांग में 2.9 गुना अधिक है। इस क्षेत्र से जुड़े लोगों की मानें, तो एआई पारंपरिक नौकरियों को खत्म कर सकता है, लेकिन संवाद और नेतृत्व क्षमता आज भी महत्वपूर्ण बनी हुई है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ऑगमेंटेड रियलिटी (एआर) और वर्चुअल रियलिटी (वीआर) की मांग में तेजी आई है। इसके तहत पांच वर्षों में 154 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ये तकनीकें अब प्रशिक्षण, रिमोट सहायता, और ग्राहक अनुभव में भी उपयोग की जा रही हैं, जो दर्शाता है कि कंपनियां अपने संचालन को डिजिटल बनाने के लिए इन्हें अपनाने में तेजी ला रही हैं।
--आईएएनएस
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