कफ सिरप से बच्चों की मौत: जांच में सामने आई नई जानकारी
किडनी फेल होने से हुई मौतें
मध्य प्रदेश और राजस्थान में किडनी फेल होने के कारण 12 बच्चों की जान जा चुकी है, जिनकी मौत का कारण कफ सिरप बताया जा रहा है। हाल ही में आई जांच रिपोर्टों में यह दावा किया गया कि मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत खांसी की दवा के सेवन से हुई है। इसके बाद केंद्र सरकार की विभिन्न एजेंसियों की टीम ने वहां जांच के लिए कदम बढ़ाया। इस टीम में NCDC, NIV, और CDSCO के विशेषज्ञ शामिल थे। उन्होंने राज्य के अधिकारियों के साथ मिलकर कई खांसी की दवाओं के नमूने एकत्र किए और उनकी जांच की।
जांच रिपोर्ट के निष्कर्ष
जांच में यह पाया गया कि किसी भी नमूने में डायइथिलीन ग्लाइकोल (DEG) या एथिलीन ग्लाइकोल (EG) नहीं पाया गया, जो किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं। मध्य प्रदेश के दवा प्रशासन ने भी तीन नमूनों की जांच की और DEG/EG की अनुपस्थिति की पुष्टि की। इसके अलावा, बच्चों के रक्त और सीएसएफ नमूनों की जांच पुणे के NIV में की गई, जिसमें एक मामला लेप्टोस्पायरोसिस से पॉजिटिव पाया गया।
सैंपल की जांच जारी
अभी भी पानी, मच्छर और श्वसन से संबंधित नमूनों की जांच विभिन्न प्रयोगशालाओं में चल रही है। राजस्थान में भी खांसी की दवा के सेवन से दो बच्चों की मौत की खबर आई थी। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि जिस दवा का उल्लेख किया गया है, उसमें प्रोपिलीन ग्लाइकोल नहीं है। यह दवा डेक्स्ट्रोमेथॉर्फन आधारित है, जिसे बच्चों को देने की सलाह नहीं दी जाती।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाह
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी है कि बच्चों में खांसी की दवा का सीमित और समझदारी से उपयोग किया जाए। नीरी, एनआईवी पुणे और अन्य प्रयोगशालाओं द्वारा जल, कीटविज्ञान वाहकों और श्वसन नमूनों की आगे की जांच की जा रही है। एनसीडीसी, एनआईवी, आईसीएमआर, एम्स नागपुर और राज्य स्वास्थ्य अधिकारियों की एक बहु-विषयक टीम रिपोर्ट किए गए मामलों के सभी संभावित कारणों की जांच कर रही है।
राजस्थान में बच्चों की मौत का मामला
राजस्थान में दूषित कफ सिरप के सेवन से बच्चों की दो मौतों के संबंध में यह स्पष्ट किया गया है कि संबंधित उत्पाद में प्रोपिलीन ग्लाइकोल नहीं है, जो दूषित पदार्थों, DEG/EG का संभावित स्रोत हो सकता है। इसके अलावा, संदर्भित उत्पाद एक डेक्सट्रोमेथॉर्फन-आधारित सूत्रीकरण है, जिसे बाल चिकित्सा के लिए अनुशंसित नहीं किया जाता है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को बाल चिकित्सा आबादी में कफ सिरप के तर्कसंगत उपयोग पर सलाह जारी की है।