अश्विनी उपाध्याय ने तब्लीगी इस्तिमा पर उठाए गंभीर सवाल
तब्लीगी इस्तिमा पर उठे सवाल

भोपाल में हाल ही में आयोजित तब्लीगी इस्तिमा के बाद इस पर कई सवाल उठने लगे हैं। सर्वोच्च न्यायालय के वकील और प्रमुख वक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि जब इस्लामी चिकित्सक जिहादी गतिविधियों में लिप्त हो रहे हैं, तो यह जानना आवश्यक है कि तब्लीगी इस्तिमा में क्या होता है। इसमें कौन लोग शामिल होते हैं और कौन-कौन सी जमातें भाग लेती हैं, यह सब जांच का विषय है।
ज्ञात हो कि भोपाल में 14 से 17 नवंबर तक तब्लीगी इस्तिमा का आयोजन किया गया था, जिसमें 20 देशों से 12 लाख लोगों के शामिल होने का दावा किया गया। इस बीच, उपाध्याय ने तब्लीगी इस्तिमा के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि संघ का कोई छोटा आयोजन होता है, तो उसकी चर्चा होती है, लेकिन लाखों लोगों के इस्लामी समागम पर कोई चर्चा नहीं होती। यह जानना जरूरी है कि इसमें क्या होता है।
उपाध्याय ने बताया कि तब्लीगी जमात 155 देशों में सक्रिय है। सवाल यह है कि क्या वे वहां वसुधैव कुटुंबकम का संदेश देते हैं, वन्दे मातरम का प्रचार करते हैं या भारत की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देते हैं।
तब्लीगी इस्तिमा के संदर्भ में उपाध्याय ने कहा कि कई देशों ने इसे प्रतिबंधित कर दिया है, जैसे रूस, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और ईरान, फिर भी इसकी गतिविधियां जारी हैं। उन्होंने कहा कि धार्मिक उन्माद और कट्टरता देश में आतंकवाद को बढ़ावा दे रही हैं। पढ़े-लिखे लोग आतंकवादी क्यों बन रहे हैं, इस पर विचार करना आवश्यक है। ऐसे में इस प्रकार की संस्थाओं की जांच होनी चाहिए।
अंत में, यह जानना जरूरी है कि तब्लीगी इस्तिमा में वास्तव में क्या होता है। 'तब्लीग' का अर्थ है संदेश देना और 'इस्तिमा' का अर्थ है 'एकत्र होना' या 'सम्मेलन'। यह इस्लामी मिशन का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य कुरान और हदीस के संदेशों को फैलाना है। यह मुसलमानों का एक धार्मिक समागम है।
अरबी में इस्तिमा का अर्थ 'इकट्ठा होना' और धार्मिक चर्चा करना है। पहले, इस्तिमा के माध्यम से वलियों ने लाखों लोगों को इस्लाम में शामिल किया। वर्तमान में भोपाल और बुलंदशहर में इस्तिमा का आयोजन होता है, जिसमें भोपाल में मुस्लिम महिलाओं के लिए अलग से इस्तिमा आयोजित किया जाता है। भोपाल में आलमी तब्लीगी इस्तिमा का पहला आयोजन 1947 में हुआ था।
