अटलांटिक महासागर में बढ़ता सार्गासम बेल्ट: एक गंभीर पर्यावरणीय चुनौती

अटलांटिक महासागर में बढ़ता सार्गासम बेल्ट एक गंभीर पर्यावरणीय चुनौती बनता जा रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह बेल्ट अब 37.5 मिलियन टन वजनी है और इसकी लंबाई 8,850 किलोमीटर तक पहुंच गई है। इसके तेजी से फैलने के पीछे नाइट्रोजन और फास्फोरस जैसे पोषक तत्वों की बढ़ती मात्रा है। यह न केवल समुद्री पारिस्थितिकी को प्रभावित कर रहा है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए भी खतरा बन रहा है। जानें इस समस्या के कारण, प्रभाव और भविष्य में इसके समाधान के उपायों के बारे में।
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अटलांटिक महासागर में बढ़ता सार्गासम बेल्ट: एक गंभीर पर्यावरणीय चुनौती

सार्गासम बेल्ट का उदय

अटलांटिक महासागर में बढ़ता सार्गासम बेल्ट: एक गंभीर पर्यावरणीय चुनौती

पिछले 15 वर्षों में, अटलांटिक महासागर में शैवालों की एक अद्वितीय और चिंताजनक पट्टी का विकास हुआ है। यह पट्टी, जो अंतरिक्ष से देखने पर अफ्रीका के पश्चिमी तट से लेकर मेक्सिको की खाड़ी तक फैली हुई है, अब एक विशाल भूरा रिबन के रूप में देखी जा रही है। पहले केवल सार्गासो सागर तक सीमित रहने वाला यह शैवाल अब अटलांटिक महासागर के बड़े हिस्से में फैल चुका है।

वैज्ञानिकों ने इसे ग्रेट अटलांटिक सार्गासम बेल्ट (GASB) का नाम दिया है। हाल ही में प्राप्त उपग्रह चित्रों के अनुसार, यह बेल्ट अब 37.5 मिलियन टन वजनी है और इसकी लंबाई लगभग 8,850 किलोमीटर तक पहुंच गई है। इसका पहला बड़ा प्रस्फुटन 2011 में देखा गया था, और तब से यह लगातार बढ़ता जा रहा है। आज इसकी चौड़ाई अमेरिका महाद्वीप की चौड़ाई से लगभग दोगुनी हो गई है।


सार्गासम बेल्ट के बढ़ने के कारण

सार्गासम आमतौर पर सार्गासो सागर के गर्म और पोषक तत्वों से खाली पानी में पाया जाता था। हाल के वर्षों में, यह पोषक तत्वों से भरपूर पानी में भी तेजी से फैल रहा है। इसका मुख्य कारण नाइट्रोजन और फास्फोरस जैसे पोषक तत्वों की बढ़ती मात्रा है, जो प्रमुख नदियों और मानवजनित स्रोतों जैसे कृषि अपवाह, अपशिष्ट जल और वायुजनित प्रदूषण के माध्यम से महासागर में पहुंच रहे हैं।

फ्लोरिडा अटलांटिक विश्वविद्यालय के हार्बर ब्रांच ओशनोग्राफिक इंस्टीट्यूट द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, 1980 और 2020 के बीच सार्गासम ऊतक में नाइट्रोजन की मात्रा 55 प्रतिशत और नाइट्रोजन-फॉस्फोरस अनुपात 50 प्रतिशत बढ़ गया है। विशेष रूप से अमेजन नदी से आने वाले पोषक तत्व इस वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इसके बाद, ग्लूफ धारा और लूप धारा जैसी प्राकृतिक समुद्री धाराएं इस शैवाल को पूरे महाद्वीप में फैला देती हैं।


पारिस्थितिकी और आर्थिक प्रभाव

सार्गासम बेल्ट मछली, केकड़ा, झींगा, ईल, कछुआ और कई अकशेरुकी जीवों के लिए एक जटिल पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करता है। लेकिन इसका तेजी से फैलना कई चिंताएं भी पैदा कर रहा है। यह प्रवाल भित्तियों तक सूर्य की रोशनी पहुंचने से रोकता है, जो प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक है। इसके अपघटन के दौरान हाइड्रोजन सल्फाइड, मीथेन और अन्य ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं।

सार्गासम का तटीय क्षेत्रों में जमाव पर्यटन, मत्स्य पालन और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को भी प्रभावित करता है। सफाई प्रक्रिया महंगी और कठिन होती है, और बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाने का खतरा रहता है। उदाहरण के लिए, 1991 में फ्लोरिडा तट पर सार्गासम के जमाव के कारण एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा था।


भविष्य और जलवायु परिवर्तन

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि जैसे-जैसे महासागर गर्म होंगे, सार्गासम बेल्ट और तेजी से विकसित होगा। जलवायु परिवर्तन के कारण हवा और धाराओं में बदलाव से सार्गासो सागर के उत्तर में इसकी सीमा बढ़ सकती है। यह केवल एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं बल्कि आर्थिक और पारिस्थितिकी के लिए भी बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।

इस प्रकार, अटलांटिक महासागर का यह विशाल भूरा रिबन अब केवल देखने में अद्भुत नहीं बल्कि पारिस्थितिकी और मानव गतिविधियों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुका है। वैज्ञानिक इसे लगातार मॉनिटर कर रहे हैं और भविष्य में इसके असर को कम करने के उपाय खोजने में लगे हैं।