जापानी थैरेपी 'फॉरेस्ट बाथिंग' से पाएं सुकून और सेहत भी

नई दिल्ली, 9 जून (आईएएनएस)। आजकल की दुनिया में हम ज्यादातर समय मोबाइल और कंप्यूटर पर बिताते हैं। हर समय कुछ न कुछ सोचते रहते हैं या भागदौड़ में लगे रहते हैं। इससे दिमाग पर बुरा असर पड़ता है और शरीर पूरी तरह थक जाता है। जीवन में शांति पाने के लिए यूं तो कई तरीके हैं, सुकून भरा तरीका है 'फॉरेस्ट बाथिंग', यानी जंगल में जाकर प्रकृति के साथ समय बिताना। इसके कई फायदे हैं। ऐसा करने से हमारे शरीर का तनाव कम होता है, मन शांत रहता है और एकाग्रता बढ़ती है। हम ज्यादा खुश और ताजगी से भरे महसूस करते हैं।
फॉरेस्ट बाथिंग का तरीका जापान से आया है, जहां इसे 'शिनरिन योकू' के नाम से जाना जाता है। फॉरेस्ट बाथिंग का नाम सुनकर ऐसा लगता है कि इसमें जंगल में नहाना होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। इसमें पानी से नहाना नहीं होता। फॉरेस्ट बाथिंग के तहत आप किसी जंगल, बगीचे या हरे-भरे इलाके में जाते हैं। वहां की हवा को महसूस करते हैं, पेड़ों के बीच चलते हैं, पत्तों को देखते हैं, चिड़ियों की आवाज सुनते हैं आदि चीजें शामिल होती हैं, जो मन और शरीर दोनों तरोताजा करती हैं।
जापान और साउथ कोरिया में कई रिसर्च हुए हैं जिनसे पता चला है कि 'शिनरिन योकू' यानी फॉरेस्ट बाथिंग से हमारे शरीर और दिमाग को कई फायदे होते हैं। इससे तनाव और ब्लड प्रेशर कम होता है। ध्यान लगाने की शक्ति बढ़ती है। मूड बेहतर होता है। आप अंदर से खुश और शांत महसूस करते हैं। इस पर साल 2022 में एक और रिसर्च की गई, जिसमें पाया गया कि अगर आप हरियाली और प्राकृतिक माहौल में कोई हल्की-फुल्की एक्टिविटी, जैसे टहलना, साइकिल चलाना आदि करते हैं, तो उसका आपकी दिल की सेहत पर अच्छा असर पड़ता है।
जंगल या हरियाली वाली जगहों में अधिक ऑक्सीजन होती है। जब आप ऐसी जगह पर जाते हैं और गहरी सांसें लेते हैं, तो आपके शरीर को ज्यादा ऑक्सीजन मिलती है। इससे खून में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है। साथ ही, आपका दिमाग भी बेहतर तरीके से काम करता है।
एक स्टडी में 12 पुरुषों को शामिल किया गया, जिनकी उम्र 37 से 55 साल के बीच थी। इन लोगों ने तीन अलग-अलग जंगलों में फॉरेस्ट बाथिंग की। नतीजों में देखा गया कि उनके शरीर में नेचुरल किलर सेल्स 50 फीसदी तक बढ़ गए। यह नेचुरल किलर सेल्स कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने में मददगार हैं।
फॉरेस्ट बाथिंग भले ही नया ट्रेंड लगे, लेकिन हमारे ऋषि-मुनि पहले से ही ऐसा करते थे। वे जंगल में ध्यान, योग और साधना करते थे।
इसे शुरू करने के लिए आपको किसी जंगल में जाने की जरूरत नहीं है। आप अपने शहर में किसी पार्क या गार्डन में जा सकते हैं। बस इस दौरान आप मोबाइल या ईयरफोन का इस्तेमाल न करें। सिर्फ प्रकृति पर ध्यान दें। अपनी इंद्रियों से हवा को महसूस करें, पत्तों के गिरने की आवाज सुनें, मिट्टी की खुशबू लें। ऐसा करने से मन को शांति मिलेगी।
--आईएएनएस
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