लीवर की सफाई के लिए आयुर्वेदिक उपाय: जानें कैसे करें

लीवर की सफाई हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस लेख में, हम आयुर्वेदिक उपायों के माध्यम से लीवर को स्वस्थ रखने के तरीकों पर चर्चा करेंगे। जानें कैसे लौकी, हल्दी, और अन्य प्राकृतिक तत्वों का उपयोग करके आप अपने लीवर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त कर सकते हैं। नियमित सेवन से न केवल लीवर की समस्याएं दूर होती हैं, बल्कि इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है। इस लेख में दिए गए उपायों को अपनाकर आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।
 | 
लीवर की सफाई के लिए आयुर्वेदिक उपाय: जानें कैसे करें

लीवर की सफाई का महत्व


यदि आप अपने शरीर को बीमारियों से दूर रखना चाहते हैं, तो हर 15 दिन में एक बार अपने लीवर की सफाई करना आवश्यक है। लीवर मानव शरीर का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है।


जब तक यह सही तरीके से कार्य करता है, तब तक हमारा शरीर कई बीमारियों से लड़ने में सक्षम रहता है।


यदि समय पर इसका उपचार नहीं किया गया, तो यह गंभीर बीमारी का रूप ले सकता है। लीवर की कमजोरी या खराबी के कई कारण हो सकते हैं। सामान्य लक्षणों में लीवर में दर्द और भूख में कमी शामिल हैं।लीवर की सफाई के लिए आयुर्वेदिक उपाय: जानें कैसे करें


लीवर की खराबी के कारण

लीवर में सूजन के कारण भोजन आंतों में सही तरीके से नहीं पहुंच पाता, जिससे पाचन में कठिनाई होती है। इससे शरीर में कमजोरी आ सकती है और विभिन्न रोग उत्पन्न हो सकते हैं। इसलिए, लीवर की खराबी का एक सरल और पूर्णतः आयुर्वेदिक उपचार प्रस्तुत किया गया है।


कभी-कभी, हमारे शरीर में कई बदलाव दिखाई देते हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। लीवर की खराबी के कई कारण होते हैं, जिनमें से एक प्रमुख कारण शराब का अत्यधिक सेवन है।


यदि आपका पेट बहुत बढ़ रहा है, तो आप सोच सकते हैं कि यह मोटापे के कारण है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि लीवर की खराबी से भी पेट में सूजन आ सकती है? इसी संदर्भ में यह लेख लिखा गया है।


लीवर की सफाई के आयुर्वेदिक उपाय

लीवर हमारे पाचन तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो पेट के दाहिनी ओर स्थित होता है। यह शरीर की कई क्रियाओं को नियंत्रित करता है और विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का कार्य भी करता है।लीवर की खराबी से हेपेटाइटिस, फैटी लिवर, लिवर सिरोसिस, एल्कोहॉलिक लिवर डिसीज और लिवर कैंसर जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं।


फिटनेस विशेषज्ञ अक्सर एक विशेष जूस की सिफारिश करते हैं, जो लीवर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। यदि आप अपने लीवर को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो इसका सेवन करें।


लिवर को साफ करने का आयुर्वेदिक उपाय


लौकी, हल्दी, धनिया, नींबू, काले नमक और गिलोय जैसे खाद्य पदार्थ लीवर की गंदगी को बाहर निकालने में सहायक होते हैं। सबसे पहले लौकी को छीलें और फिर लौकी और धनिया को मिलाकर एक गिलास जूस निकालें। इसमें 1 चम्मच हल्दी, 1 चम्मच काला नमक, 1 चम्मच नींबू का रस और 30 मिली गिलोय का रस मिलाएं।


यह जूस आपको लिवर से विषैले टॉक्सिन निकालने में मदद करेगा। इसे रोज सुबह खाली पेट पिएं। इसे भोजन के तुरंत बाद भी लिया जा सकता है। नियमित सेवन से न केवल लिवर से टॉक्सिन बाहर निकलते हैं, बल्कि इम्यून सिस्टम भी मजबूत रहता है।


अन्य प्रभावी जूस

150 मिली गाजर के जूस, 20 मिली आंवले के जूस और सेंधा नमक को मिलाकर नाश्ते के साथ सेवन करें। यह जूस लिवर को डिटॉक्स करने के साथ-साथ सूजन को भी कम करता है।


पालक के पत्तों का 100 मिली जूस निकालें, इसमें 30 मिली चुकंदर का जूस और काली मिर्च मिलाएं। इसे खाने के बाद रोजाना पिएं। यह लीवर को ठीक करने के साथ-साथ खून की कमी भी पूरी करता है।


सेब का सिरका रोजाना खाने के साथ लेना चाहिए, क्योंकि यह लीवर को साफ करने में मदद करता है।


विशेष उपाय

किशमिश को धोकर 2 कप पानी में उबालें और रात भर भिगो दें। सुबह इसे छानकर हल्का गुनगुना करके खाली पेट पिएं। इससे लीवर और किडनी दोनों साफ होते हैं।


सुबह लहसुन खाने के बाद गुनगुने पानी में शहद मिलाकर पीना चाहिए। यह लीवर को साफ रखने में मदद करता है।


खाली पेट दो लहसुन खाने के बाद एक-दो गिलास पानी पीना चाहिए। लहसुन हमारे लिवर को साफ रखता है और बीमारियों से बचाता है।


नींबू और जामुन का उपयोग

एक कागजी नींबू को दो टुकड़ों में काटें और उसमें काली मिर्च, काला नमक, साँठ का चूर्ण और मेिश्री भरें। इसे रात भर ढककर रखें और सुबह इसे गर्म करके चूसें।


जामुन के मौसम में 200-300 ग्राम जामुन खाली पेट खाने से लीवर की खराबी दूर होती है।


ध्यान रखने योग्य बातें

15 से 21 दिन तक इनमें से किसी एक चीज का सेवन करने से लीवर ठीक होता है। इससे यकृत विकार ठीक होने के साथ-साथ भूख बढ़ती है और पुरानी कब्ज दूर होती है।


पुराना मलेरिया, ज्वर, अधिक मद्यपान, और अन्य कारणों से यकृत रोग उत्पन्न हो सकते हैं। बुखार ठीक होने के बाद भी यकृत की बीमारी बनी रह सकती है।