मोतियाबिंद: कारण, प्रकार और आयुर्वेदिक उपचार
मोतियाबिंद के कारण
मोतियाबिंद कई कारणों से उत्पन्न हो सकता है। इसमें आंखों में लंबे समय तक सूजन रहना, जन्मजात सूजन, आंख की संरचना में कमी, चोट लगना, या चोट के बाद घाव का लंबे समय तक रहना शामिल है। इसके अलावा, दूर की चीजों का धुंधला दिखना या सब्जमोतिया रोग भी इसके कारण हो सकते हैं।
आंख के परदे का अलग होना, गंभीर दृष्टि दोष, लंबे समय तक तेज रोशनी में काम करना, डायबिटीज, गठिया, धमनी रोग, गुर्दे में जलन, अत्यधिक कुनैन का सेवन, और खूनी बवासीर का अचानक रक्तस्राव रुक जाना भी मोतियाबिंद के संभावित कारण हैं।
मोतियाबिंद के प्रकार
रक्त मोतियाबिंद में सभी चीजें लाल, हरी, काली, पीली और सफेद दिखाई देती हैं। परिम्लामिन मोतियाबिंद में चारों ओर पीला दिखाई देता है, जैसे पेड़-पौधों में आग लग गई हो।
वातज मोतियाबिंद में आंखों की पुतली लाल, चंचल और कठोर होती है। पित्तज मोतियाबिंद में पुतली कांसे के समान पीली होती है। कफज मोतियाबिंद में पुतली सफेद और चिकनी होती है। सन्निपात के मोतियाबिंद में पुतली मूंगे या पद्म पत्र के समान होती है।
मोतियाबिंद का आयुर्वेदिक इलाज
त्रिफला के जल से आंखें धोना: त्रिफला को जौ के समान कूटकर रातभर शुद्ध जल में भिगो दें। सुबह इसे छानकर आंखों पर छींटे लगाएं। इससे आंखों की गर्मी, खुजली, लाली और मोतियाबिंद का इलाज होता है।
त्रिफला की टिकिया: त्रिफला को जल के साथ पीसकर टिकिया बनाएं और आंखों पर रखें।
हरड़ की गिरी: इसे जल के साथ खरल करें और आंखों में डालें। यह मोतियाबिंद के प्रारंभिक चरण में लाभकारी है।
हल्के बड़े मोती का चूरा और काला सुरमा मिलाकर आंखों में लगाना भी फायदेमंद है।
फायदेमंद व्यायाम और योगासन
सूर्योदय से पहले नियमित रूप से शीर्षासन और आंखों का व्यायाम करें। आंखों की पुतलियों को दाएं-बाएं और ऊपर-नीचे घुमाएं।
इसके बाद शीर्षासन करें। यह मोतियाबिंद से लड़ने का एक अच्छा तरीका है।
कुछ खास ध्यान देने योग्य बातें
मोतियाबिंद के रोगियों को ताजा गेहूं की रोटी और गाय का दूध बिना चीनी के पीना चाहिए।
सुबह-शाम आंखों में ताजे पानी के छींटे मारें। पढ़ाई करते समय रोशनी को बाईं ओर से आने दें।
यदि किसी व्यक्ति को दोनों आंखों में मोतियाबिंद है, तो सर्जरी के माध्यम से टेलीस्कोपिक लेंस प्रत्यारोपित किया जा सकता है।