बवासीर: कारण, प्रकार और घरेलू उपचार

बवासीर क्या है?
यह एक गुदा मार्ग की बीमारी है, जिसका मुख्य कारण कब्ज होता है। जब कोई व्यक्ति अधिक मिर्च-मसाले और बाहर के खाने का सेवन करता है, तो पेट में कब्ज उत्पन्न होती है, जिससे मल अधिक शुष्क और कठोर हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप, मल करते समय अधिक जोर लगाना पड़ता है, जिससे बवासीर (अर्श) की समस्या उत्पन्न होती है।
बवासीर के प्रकार
बवासीर के कई प्रकार होते हैं, जिनमें मुख्यतः दो प्रकार शामिल हैं: खूनी बवासीर और वादी बवासीर। खूनी बवासीर तब होती है जब मल के साथ खून निकलता है, जबकि वादी बवासीर में मलद्वार पर सूजन होती है, लेकिन खून नहीं निकलता। बवासीर में मांसांकुर (मस्से) निकल आते हैं, जो दर्द और जलन का कारण बनते हैं।
बवासीर के प्रकार
अर्श (बवासीर) के 6 प्रकार हैं: पित्तार्श, कफार्श, वातार्श, सन्निपातार्श, संसार्गर्श और रक्तार्श।
कफार्श: इसमें मस्से गहरे होते हैं और थोड़ी पीड़ा होती है।
वातजन्य बवासीर: इसमें गुदा में ठंडे और चिपचिपे मस्से निकलते हैं।
संसगर्श: यह परंपरागत या दूसरों से होने वाले होते हैं।
पितार्श: इसमें मस्से नीले, पीले, काले और लाल रंग के होते हैं।
सन्निपात: इसमें वातार्श, पितार्श और कफार्श के लक्षण मिलते हैं।
खूनी बवासीर: इसमें मस्से चिरमिठी या मूंग के आकार के होते हैं।
बवासीर के मुख्य कारण
बवासीर का मुख्य कारण कब्ज है। जब कोई व्यक्ति अधिक तैलीय और मसालेदार भोजन का सेवन करता है, तो उसकी पाचन क्रिया प्रभावित होती है। इससे पेट में कब्ज बनती है, जो मल को कठोर कर देती है। मल करते समय अधिक जोर लगाने से मलद्वार की त्वचा छिल जाती है, जिससे खून निकलने लगता है।
बवासीर के लक्षण
बवासीर के लक्षणों में मलद्वार के बाहर मांसांकुर का निकलना, शौच के दौरान खून आना, चलने में परेशानी, चक्कर आना और स्मरण शक्ति में कमी शामिल हैं।
बवासीर के घरेलू उपचार
हारसिंगार: हारसिंगार के फूलों को पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट खाने से बवासीर ठीक होती है।
कपूर: कपूर और अन्य जड़ी-बूटियों का पाउडर बनाकर मूली में भरकर भूनने से बवासीर का इलाज होता है।
वनगोभी: वनगोभी के पत्तों का रस बवासीर के मस्सों पर लगाने से राहत मिलती है।
मूली: मूली के रस में जलेबी मिलाकर सेवन करने से बवासीर ठीक होती है।