बच्चों में स्ट्रोक: लक्षण, कारण और रोकथाम

स्ट्रोक एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो न केवल वयस्कों बल्कि बच्चों को भी प्रभावित कर सकती है। इस लेख में, हम बच्चों में स्ट्रोक के लक्षण, कारण और रोकथाम के उपायों पर चर्चा करेंगे। जानें कि कैसे स्ट्रोक का निदान किया जा सकता है और इसके प्रभावों से कैसे बचा जा सकता है। यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण हो सकती है, खासकर यदि आपके बच्चे को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं।
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बच्चों में स्ट्रोक: लक्षण, कारण और रोकथाम

स्ट्रोक का परिचय


कैंसर और हृदय रोग के साथ, स्ट्रोक विश्व स्तर पर मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर साल लगभग 17 मिलियन लोग स्ट्रोक का शिकार होते हैं, जिनमें से लगभग 6 मिलियन की मृत्यु हो जाती है। भारत में यह संख्या तेजी से बढ़ रही है, जहां हर चार मिनट में एक व्यक्ति स्ट्रोक का शिकार होता है।


स्ट्रोक के प्रकार और उनके प्रभाव

बच्चों में स्ट्रोक: लक्षण, कारण और रोकथाम

स्ट्रोक को आमतौर पर बुजुर्गों की समस्या माना जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में युवा वयस्क भी इसके शिकार बन रहे हैं। क्या बच्चों को भी स्ट्रोक होता है? यह एक सामान्य प्रश्न है। आइए इसे समझते हैं।

स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क में रक्त प्रवाह अचानक रुक जाता है, जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं ऑक्सीजन से वंचित हो जाती हैं और कुछ ही मिनटों में क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।

स्ट्रोक के दो मुख्य प्रकार होते हैं: इस्केमिक स्ट्रोक, जो तब होता है जब मस्तिष्क में रक्त का थक्का एक धमनियों को अवरुद्ध करता है, और हेमरेजिंग स्ट्रोक, जो तब होता है जब मस्तिष्क में रक्त वाहिका फट जाती है।

स्ट्रोक जानलेवा हो सकता है; जो लोग इससे बच जाते हैं, उन्हें पक्षाघात का उच्च जोखिम होता है।


क्या बच्चों को भी स्ट्रोक होता है?

क्या बच्चों को भी स्ट्रोक होता है?

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जबकि स्ट्रोक बुजुर्गों और वयस्कों में अधिक सामान्य है, यह बच्चों को भी प्रभावित कर सकता है। नवजात शिशुओं में भी स्ट्रोक के मामले सामने आए हैं। स्ट्रोक एक जानलेवा स्थिति है, और बच्चों में इसके लक्षण वयस्कों से भिन्न हो सकते हैं।

बच्चों में स्ट्रोक के कारण आमतौर पर वयस्कों से भिन्न होते हैं, जैसे जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी, जन्मजात हृदय रोग, या गंभीर सिर की चोट।


बच्चों में स्ट्रोक के लक्षण

बच्चों में स्ट्रोक के लक्षण क्या हैं?

बच्चों में स्ट्रोक के लक्षण वयस्कों की तुलना में भिन्न हो सकते हैं। बच्चों में व्यवहार या सोच में बदलाव, सुनने या देखने में समस्या, एक तरफ मांसपेशियों की कमजोरी (हेमिपेरेसिस), और बोलने या शब्दों को समझने में कठिनाई हो सकती है।

कई बच्चे, विशेषकर छोटे बच्चे, सामान्य स्ट्रोक के लक्षण नहीं दिखा सकते। इसके बजाय, वे दौरे, सिरदर्द, मतली और थकान का अनुभव कर सकते हैं।


स्ट्रोक के जोखिम और रोकथाम

स्ट्रोक के जोखिम और रोकथाम

डॉक्टरों का कहना है कि जो बच्चे स्ट्रोक का शिकार होते हैं, वे आमतौर पर पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। लेकिन मस्तिष्क के जिस हिस्से को स्ट्रोक प्रभावित करता है, उसके आधार पर कुछ बच्चों में सोचने और बोलने की क्षमताओं में स्थायी परिवर्तन हो सकते हैं।

बच्चों में स्ट्रोक का निदान करना कठिन हो सकता है क्योंकि लक्षण हमेशा पहचानने योग्य नहीं होते। सभी माता-पिता को रोकथाम के प्रति सतर्क रहना चाहिए। कभी-कभी, जन्म के समय या उसके तुरंत बाद इस्केमिक स्ट्रोक होता है, जिसे प्रीनेटल स्ट्रोक कहा जाता है।