फैटी लिवर: लक्षण, कारण और बचाव के उपाय

लिवर की भूमिका और फैटी लिवर की समस्या
लिवर को शरीर का प्रबंधक माना जाता है, जो अपनी बीमारियों को ठीक करने का प्रयास करता है। लेकिन जब लिवर पर वसा जमा होने लगता है, तो इसकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है, जिससे यह खुद को ठीक करने में असमर्थ हो जाता है।
फैटी लिवर के लक्षण तुरंत प्रकट नहीं होते। जब स्थिति गंभीर होती है, तब शरीर के विभिन्न हिस्सों में इसके संकेत दिखाई देते हैं। हालांकि, कुछ प्रारंभिक लक्षण होते हैं जो ध्यान देने योग्य होते हैं।
आजकल की जीवनशैली और खानपान के कारण हर चौथे व्यक्ति को फैटी लिवर की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। लिवर पर वसा जमा होते ही यह संकेत देना शुरू करता है, लेकिन हम अक्सर इन संकेतों को अनदेखा कर देते हैं। जब स्थिति गंभीर हो जाती है, तब लक्षण भी गंभीर हो जाते हैं, जिसके बाद लोग डॉक्टर के पास जाते हैं। यदि प्रारंभिक लक्षणों को पहचान लिया जाए, तो कई बार डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता नहीं होती। जीवनशैली और खानपान में कुछ बदलाव करके आप प्रारंभिक स्तर पर फैटी लिवर की समस्या को नियंत्रित कर सकते हैं।
फैटी लिवर के लक्षण
जब लिवर पर वसा जमा होता है, तो कई लक्षण प्रकट होते हैं। इनमें थकान, भूख में कमी, खाना पचाने में कठिनाई, पेट में गैस, पेट में दर्द, लूज मोशन या कब्ज शामिल हैं। जब स्थिति गंभीर होती है, तो आंखों और त्वचा का पीला पड़ना जैसे लक्षण भी उभर सकते हैं। इसलिए, शुरुआती हल्के लक्षणों पर लिवर की जांच कराना आवश्यक है, ताकि गंभीर बीमारियों से बचा जा सके।
लक्षणों को नजरअंदाज करने के नुकसान
फैटी लिवर के हल्के लक्षणों को अनदेखा करने से कई गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे हेपेटाइटिस और लिवर सिरोसिस। प्रारंभिक लक्षणों के उभरने पर खानपान पर नियंत्रण रखकर इन गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है।
हेल्थ एक्सपर्ट की राय
सीनियर फिजिशियन डॉ. आलोक रंजन के अनुसार, फैटी लिवर दो प्रकार का होता है: एक अल्कोहलिक और दूसरा नॉन-अल्कोहलिक। नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर अधिक गंभीर होता है, लेकिन इसे खानपान में सुधार करके नियंत्रित किया जा सकता है। अल्कोहलिक फैटी लिवर की शुरुआत में भी अल्कोहल का सेवन बंद करके और खानपान पर ध्यान देकर इस बीमारी से बचा जा सकता है।