नींद की कमी से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ता है

नींद का मानव जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है, और इसकी कमी से हृदय स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। हाल के शोध में यह पाया गया है कि जो लोग 7 घंटे से कम सोते हैं, उनमें हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। इस लेख में नींद की कमी के स्वास्थ्य पर प्रभावों और शोध के निष्कर्षों के बारे में जानकारी दी गई है। जानें कि कैसे पर्याप्त नींद लेना आपके दिल के लिए फायदेमंद हो सकता है।
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नींद की कमी से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ता है

नींद का महत्व


सोना मानव जीवन के लिए उतना ही आवश्यक है जितना भोजन। लगातार काम करने से शरीर थक जाता है, इसलिए आराम करना जरूरी है। यदि हम अपने शरीर को आराम नहीं देते, तो थकावट बीमारियों का कारण बन सकती है। एक सामान्य व्यक्ति को प्रतिदिन कम से कम 6 से 7 घंटे की नींद लेनी चाहिए। इससे कम सोने से हृदय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है।


नींद की कमी और स्वास्थ्य

विभिन्न आयु वर्ग के लिए वैज्ञानिकों ने नींद की आवश्यक अवधि निर्धारित की है। कम नींद लेने से कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यदि आप लगातार काम करने के बाद रात में कम सोते हैं, तो आप अपने दिल को नुकसान पहुंचा रहे हैं। हाल ही में एक अध्ययन में यह पाया गया है कि कम नींद जानलेवा हो सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि जो लोग 7 घंटे से कम सोते हैं, उनमें हृदय रोग का खतरा अधिक होता है।


शोध के निष्कर्ष

पत्रिका एक्सपेरिमेंटल फिजियोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग रात में 7 घंटे से कम सोते हैं, उनके रक्त में तीन माइक्रोआरएनए का स्तर कम होता है। ये माइक्रोआरएनए शरीर के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं और संवहनी स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण होते हैं।


कोलोराडो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर क्रिस्टोफर डेसूजा ने नींद के स्वास्थ्य पर प्रभावों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि यह शोध नींद और दिल के स्वास्थ्य के बीच एक नए संभावित संबंध की ओर इशारा करता है।


शोध की प्रक्रिया

प्रोफेसर डिसूजा ने 44 से 62 वर्ष के लोगों के विभिन्न समूहों पर अध्ययन किया, जिसमें पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल थे। प्रतिभागियों से उनकी नींद की आदतों के बारे में प्रश्नावली भरी गई।


अध्ययन में पाया गया कि आधे प्रतिभागी रात में 7 से 8.5 घंटे सोते थे, जबकि अन्य आधे लोग 5 से 6.8 घंटे सोते थे। अनुसंधान टीम ने संवहनी स्वास्थ्य से जुड़े नौ माइक्रोआरएनए की अभिव्यक्ति को मापा।


महत्वपूर्ण निष्कर्ष

शोध के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि जो लोग 7 घंटे से कम सोते हैं, उनके एमआईआर-125ए, एमआईआर-126, और एमआईआर-14ए का स्तर पर्याप्त नींद लेने वालों की तुलना में 40 से 60 प्रतिशत कम था।