निमोनिया: जोड़ों पर प्रभाव और सावधानियां

निमोनिया एक गंभीर संक्रमण है जो न केवल फेफड़ों को प्रभावित करता है, बल्कि जोड़ों और मांसपेशियों पर भी असर डाल सकता है। सर्दियों में खांसी और जुकाम को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर पहचान और उचित उपचार आवश्यक हैं। जानें निमोनिया के लक्षण, बच्चों में इसके प्रभाव और जोड़ों पर इसके दुष्प्रभावों के बारे में। इस लेख में जानें कि कैसे सही आहार और सावधानियां आपको इस संक्रमण से बचा सकती हैं।
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निमोनिया: जोड़ों पर प्रभाव और सावधानियां

निमोनिया का प्रभाव

निमोनिया: जोड़ों पर प्रभाव और सावधानियां

निमोनिया से जोड़ों पर भी असर Image Credit source: Getty Images

सर्दियों में खांसी, जुकाम या बुखार को अक्सर लोग सामान्य समझ लेते हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ये कभी-कभी निमोनिया जैसी गंभीर स्थिति का संकेत हो सकते हैं। यह संक्रमण केवल फेफड़ों को ही नहीं, बल्कि शरीर की संपूर्ण कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है, जिससे थकान, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। ऑर्थोपेडिक, पल्मोनोलॉजी और पीडियाट्रिक्स के विशेषज्ञ मानते हैं कि निमोनिया का प्रभाव हर आयु वर्ग में भिन्न होता है। वयस्कों में यह जोड़ों और मांसपेशियों की कमजोरी को बढ़ा सकता है, जबकि बच्चों में यह सांस संबंधी जटिलताओं का कारण बन सकता है। बुजुर्गों में यह इम्यूनिटी को कमजोर कर सकता है। इसलिए, समय पर पहचान, उचित उपचार, पौष्टिक आहार और रोकथाम के उपाय अपनाना आवश्यक है।


निमोनिया के लक्षण

निमोनिया की शुरुआत सामान्य सर्दी-जुकाम जैसे लक्षणों से होती है, लेकिन धीरे-धीरे इसके लक्षण गंभीर हो सकते हैं। लगातार तेज बुखार, ठंड लगना, खांसी के साथ पीला या हरा कफ आना, सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द, अत्यधिक थकान और कमजोरी इसके प्रमुख लक्षण हैं। कई मरीजों को सांस फूलने या ऑक्सीजन की कमी के कारण चक्कर या बेचैनी भी महसूस होती है। बच्चों और बुजुर्गों में लक्षण कभी-कभी अलग रूप में दिखते हैं, जैसे सुस्ती, भूख में कमी या अचानक सांस तेज हो जाना। यदि ये लक्षण दो-तीन दिन से अधिक समय तक बने रहें, तो इसे सामान्य जुकाम समझकर नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से सलाह लें.


जोड़ों पर निमोनिया का प्रभाव

निमोनिया कैसे जोड़ों को नुकसान करता है?

दिल्ली में अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट आर्थोपेडिक्स एंड स्पाइन, डॉ. अभिषेक कुमार मिश्रा के अनुसार, निमोनिया या किसी भी मौसमी संक्रमण के बाद शरीर में सूजन और थकान लंबे समय तक बनी रह सकती है। यह स्थिति जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द या जकड़न पैदा कर सकती है, जिससे रिकवरी धीमी हो जाती है। कमजोर इम्यूनिटी और लंबे समय तक बेड रेस्ट हड्डियों को भी प्रभावित करते हैं। इसलिए संक्रमण के बाद हल्की एक्सरसाइज, फिजिकल थेरेपी, हाइड्रेशन और प्रोटीन से भरपूर डाइट लेना बेहद जरूरी है, ताकि शरीर जल्दी ठीक हो सके और जोड़ों पर दोबारा असर न पड़े.


बच्चों में निमोनिया

गोरखपुर में रीजेंसी हॉस्पिटल की अटेंडिंग कंसलटेंट पीडियाट्रिक्स, डॉ. तान्या चतुर्वेदी बताती हैं कि सर्दियों में बच्चों में निमोनिया के मामले अधिक देखे जाते हैं क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम अभी पूरी तरह विकसित नहीं होता। यह संक्रमण अक्सर सर्दी-खांसी से शुरू होकर फेफड़ों तक पहुंच जाता है, जिससे बुखार, सांस की तकलीफ और सुस्ती जैसे लक्षण होते हैं। माता-पिता को चाहिए कि बच्चे को पर्याप्त आराम, पौष्टिक डाइट और तरल पदार्थ दें। किसी भी गंभीर लक्षण पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें, ताकि समय पर इलाज और वैक्सीन से बच्चे की सुरक्षा की जा सके.


सावधानियां

निमोनिया को मामूली सर्दी-जुकाम न समझें

कानपुर में अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट पल्मनोलॉजी, डॉ. संदीप काटयार बताते हैं कि निमोनिया को अक्सर लोग सामान्य सर्दी-जुकाम समझ लेते हैं, जबकि यह फेफड़ों में संक्रमण की गंभीर स्थिति होती है। इससे सांस लेने में कठिनाई, थकान, ऑक्सीजन की कमी और कमजोरी हो सकती है। कई मरीजों में पोस्ट-वायरल थकान लंबे समय तक बनी रहती है। समय पर जांच, दवा का पूरा कोर्स और संतुलित डाइट बेहद जरूरी है ताकि संक्रमण दोबारा न लौटे और फेफड़ों की कार्यक्षमता सुरक्षित रहे.

निमोनिया केवल सर्दियों की आम सर्दी नहीं, बल्कि एक गंभीर संक्रमण है जो शरीर की संपूर्ण कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकता है। यह फेफड़ों से शुरू होकर मांसपेशियों, जोड़ों और इम्यून सिस्टम पर तक असर डालता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी रोकथाम समय पर पहचान, पर्याप्त आराम, पौष्टिक आहार, स्वच्छता और वैक्सीन से संभव है। मौसमी संक्रमणों को हल्के में लेना भविष्य में बड़ी जटिलताओं का कारण बन सकता है। इसलिए ठंड के मौसम में शरीर की देखभाल, हाइड्रेशन और नियमित जांच को लाइफस्टाइल का हिस्सा बनाना जरूरी है, क्योंकि सावधानी ही सबसे अच्छी सुरक्षा है.