नाभि खिसकने के कारण और उपचार: जानें कैसे रखें इसे सही स्थिति में

नाभि खिसकने की समस्या

आजकल की व्यस्त जीवनशैली में नाभि का सही स्थान अक्सर प्रभावित हो जाता है, जिसे नाभि का खिसकना कहा जाता है। यह पेट के भीतर एक ऊर्जा केंद्र है, जो 7,200 से अधिक नाड़ियों का संगम है। जब नाभि खिसकती है, तो पेट में दर्द, कब्ज, दस्त, और पेट फूलने जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यदि इसे नजरअंदाज किया जाए, तो यह स्थिति स्थायी हो सकती है। आमतौर पर, पुरुषों में यह बाईं ओर और महिलाओं में दाईं ओर खिसकती है।
नाभि की जांच कैसे करें
नाभि की स्थिति की सही जांच करना आवश्यक है। इसके लिए, आप अपनी छोटी उंगलियों की तुलना कर सकते हैं; यदि वे असमान हैं, तो यह संकेत है कि आपकी नाभि टल गई है। सुबह खाली पेट लेटकर नाभि पर दबाव डालकर स्पंदन का परीक्षण भी किया जा सकता है।
दूरगामी प्रभाव

नाभि के खिसकने के कई दूरगामी दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे दांतों की चमक कम होना, आंखों की रोशनी में कमी, और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव। यदि नाभि ऊपर की ओर खिसकती है, तो यह अग्न्याशय और फेफड़ों पर भी बुरा असर डाल सकती है, जिससे मधुमेह और अस्थमा जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
नाभि को सही स्थिति में लाने के उपाय
नाभि को सही स्थान पर लाने के लिए सबसे सरल उपाय यह है कि आप पीठ के बल लेटकर दोनों पैरों को 90° पर मोड़ें। टली हुई तरफ के पैर को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं और गहरी सांस लें। इस प्रक्रिया को दिन में दो बार करें। इसके बाद गुड़ और सौंफ का चूर्ण पानी के साथ लें।
इसके अतिरिक्त, हाथों की रेखाओं की तुलना कर, हथेली के बीच की रेखाओं को मिलाकर, और पादांगुष्ठासन जैसे योगासन करने से भी नाभि सही जगह पर आ जाती है।
अन्य प्रभावी उपाय
सरसों के तेल से पेट की मालिश करें और नाभि के स्थान पर दबाव डालकर उसे केंद्र में लाने का प्रयास करें। सूखे आँवले का आटा और अदरक के रस का प्रयोग भी लाभकारी होता है। नाभि की समस्या में मूँग दाल की खिचड़ी और अदरक का रस देना प्रभावशाली है।
नाभि के बार-बार खिसकने से बचने के लिए पैरों के अंगूठों में चांदी की कड़ी पहनना और कमर-पेट को कसकर बांधना चाहिए। ये सरल लेकिन प्रभावी उपाय आपको नाभि की परेशानियों से मुक्त कर सकते हैं।