दिल्ली में आयुर्वेदिक अस्पताल का कैंसर उपचार: 11 दिनों में सुधार का दावा

दिल्ली के पंजाबी बाग़ में एक आयुर्वेदिक अस्पताल ने कैंसर के इलाज के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया है। अस्पताल का दावा है कि वह देसी गाय के गोबर, मूत्र और जड़ी-बूटियों का उपयोग करके मरीजों की स्थिति में सुधार कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि मानसिक स्थिति का भी इस रोग पर प्रभाव पड़ता है। जानें इस अस्पताल में मरीजों को कैसे उपचार दिया जाता है और क्या हैं इसके परिणाम।
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दिल्ली में आयुर्वेदिक अस्पताल का कैंसर उपचार: 11 दिनों में सुधार का दावा

आयुर्वेदिक उपचार का अनोखा तरीका

दिल्ली में आयुर्वेदिक अस्पताल का कैंसर उपचार: 11 दिनों में सुधार का दावा


दिल्ली के पंजाबी बाग़ में एक आयुर्वेदिक अस्पताल पिछले डेढ़ साल से कार्यरत है, जो दावा करता है कि वह देसी गाय के गोबर, मूत्र, दूध, दही, घी और जड़ी-बूटियों का उपयोग करके कैंसर का इलाज कर सकता है। गौहत्या के विवादों के बीच, इस अस्पताल का मानना है कि गाय का दूध ही नहीं, बल्कि गोबर और मूत्र भी कैंसर के मरीजों के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। शिवाजी मार्ग पर स्थित गौधाम आयुर्वेद कैंसर ट्रीटमेंट एंड रिसर्च सेंटर का कहना है कि जड़ी-बूटियों के साथ गोबर के लेप और तुलसी के पानी से कैंसर के विकास को रोका जा सकता है।


विशेषज्ञों का दृष्टिकोण

यहां के कैंसर विशेषज्ञ वैद्य भरत देव मुरारी ने बताया कि कैंसर शारीरिक रूप से प्रकट होता है, लेकिन यह मानसिक स्थिति से जुड़ा होता है। उन्होंने कहा कि हम चमत्कार का दावा नहीं करते, लेकिन हमने पांचगव्य और जड़ी-बूटियों के माध्यम से कई मरीजों की स्थिति में सुधार किया है। उनका मानना है कि गोबर और गौ मूत्र का इसमें महत्वपूर्ण योगदान है।


उन्होंने यह भी कहा कि यदि मरीज समय पर अस्पताल आएं, तो उनकी बीमारी को रोका जा सकता है। अस्पताल में मरीजों को 11 या 21 दिनों तक रखा जाता है, जहां उनका एक नियमित कार्यक्रम बनाया जाता है। जब मरीज घर लौटते हैं, तो उन्हें उसी कार्यक्रम का पालन करने के लिए कहा जाता है। यहां मरीजों को सुबह योग कराया जाता है, और पंचगव्य को निश्चित मात्रा में दिया जाता है। आयुर्वेदिक दवाएं और जड़ी-बूटियों का काढ़ा भी दिया जाता है, साथ ही उन्हें जौ की रोटी और हरी सब्जियां भी दी जाती हैं। सुबह और शाम मरीज की गांठ पर लेप लगाया जाता है। वैद्य ने बताया कि आयुर्वेद में कैंसर का कोई नाम नहीं है, इसे गांठ कहा जाता है।