थायराइड की समस्या: घरेलू उपचार और सावधानियाँ

थायराइड की समस्या का परिचय

आज के समय में थायराइड एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। यह ग्रंथि गर्दन के सामने और स्वर तंत्र के दोनों ओर स्थित होती है, और इसका आकार तितली जैसा होता है।
इस ग्रंथि से थायरोक्सिन हार्मोन का स्राव होता है। जब इस हार्मोन का संतुलन बिगड़ता है, तो शरीर में कई प्रकार की बीमारियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
यदि थायरोक्सिन हार्मोन की मात्रा कम हो जाती है, तो मेटाबोलिज़्म तेज हो जाता है, जिससे शरीर की ऊर्जा जल्दी समाप्त हो जाती है।
इसके विपरीत, जब हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है, तो मेटाबोलिज़्म धीमा हो जाता है, जिससे व्यक्ति सुस्त और थका हुआ महसूस करता है। थायराइड ग्रंथि का प्रभाव शरीर के विभिन्न हिस्सों पर पड़ता है।
थायराइड के प्रकार और लक्षण
थायराइड की समस्याएँ विभिन्न प्रकार की होती हैं, जैसे हाइपोथायराइडिज्म, हाइपरथायराइडिज्म, आयोडीन की कमी से होने वाले विकार, हाशिमोटो थायराइडिटिस, और थायराइड कैंसर।
थायराइड ग्रंथि से दो प्रमुख हार्मोन बनते हैं: टी3 और टी4, जो शरीर के तापमान, मेटाबोलिज्म और हृदय की गति को नियंत्रित करते हैं।
हाइपोथायराइडिज्म में हार्मोन का स्राव कम होता है, जबकि हाइपरथायराइडिज्म में हार्मोन की मात्रा अधिक होती है।
थायराइड के लक्षणों में प्रतिरोधक क्षमता में कमी, थकान, बालों का झड़ना, कब्ज, त्वचा का रूखापन, और वजन में अचानक बदलाव शामिल हैं।
थायराइड के कारण
थायराइड की समस्या के कई कारण हो सकते हैं, जैसे अत्यधिक तनाव, धूम्रपान, सोया का सेवन, और डॉक्टर की सलाह की अनदेखी करना।
इसके अलावा, कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन न करना और ग्लूटेन वाले आहारों का अधिक सेवन भी थायराइड को प्रभावित कर सकता है।
शुगर का नियंत्रण न रखना और फालतू दवाओं का सेवन भी थायराइड की समस्या को बढ़ा सकता है।
थायराइड का घरेलू उपचार
निर्गुण्डी के पत्तों का रस 14 से 28 मिलीलीटर दिन में तीन बार लेना फायदेमंद होता है।
लाल प्याज को गर्दन पर रगड़ने से भी राहत मिलती है।
थायराइड के लिए आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए, जैसे समुद्री भोजन, मछली, अंडे, और दही।