डायबिटीज की पहचान: जानें लक्षण और जरूरी जांचें
नई दिल्ली में डायबिटीज की बढ़ती समस्या
डायबिटीज, जिसे आमतौर पर ब्लड शुगर की समस्या के रूप में जाना जाता है, अब सभी आयु वर्ग के लोगों में तेजी से फैल रही है। जीवनशैली में बदलाव के कारण यह समस्या अब 20 वर्ष से कम उम्र के युवाओं को भी प्रभावित कर रही है। जिन व्यक्तियों के परिवार में माता-पिता या करीबी रिश्तेदारों को उच्च शुगर की समस्या रही है, उन्हें अपनी सेहत के प्रति विशेष ध्यान देने की सलाह दी जाती है।
डायबिटीज के लक्षण और उनके प्रभाव
डायबिटीज के शुरुआती लक्षण अक्सर इतने हल्के होते हैं कि लोग समय पर इसे पहचान नहीं पाते। यदि ब्लड शुगर लंबे समय तक सामान्य से अधिक रहता है, तो यह शरीर के विभिन्न अंगों को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचा सकता है।
समय पर जांच का महत्व
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय पर शुगर को नियंत्रित करने के उपाय किए जाएं, तो गंभीर जटिलताओं से बचा जा सकता है। इसके लिए यह आवश्यक है कि व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में जानकारी हो। डॉक्टरों का सुझाव है कि कुछ जांचों के माध्यम से यह स्पष्ट किया जा सकता है कि क्या व्यक्ति को डायबिटीज है या इसका खतरा है।
विशेषज्ञों की राय
एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. वसीम गौहरी के अनुसार, समय पर डायबिटीज की पहचान करना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह भारतीय जनसंख्या में तेजी से बढ़ रही है। यदि किसी को डायबिटीज का संदेह है या परिवार में पहले से कोई व्यक्ति इस समस्या से ग्रसित है, तो उन्हें तुरंत जांच करानी चाहिए।
जरूरी जांचें
कुछ महत्वपूर्ण जांचों के माध्यम से शुगर की समस्या को समय पर पहचाना जा सकता है। फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट, पोस्ट प्रांडियल ब्लड शुगर टेस्ट और HbA1c टेस्ट से शरीर में शुगर की स्थिति का सही आकलन किया जा सकता है।
फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट
यह टेस्ट शरीर में खाली पेट शुगर के स्तर को मापता है। इसके लिए कम से कम 8 से 10 घंटे तक कुछ भी नहीं खाना चाहिए। यह सामान्य ब्लड टेस्ट से यह समझने में मदद करता है कि शरीर बिना भोजन के शुगर को कितनी अच्छी तरह नियंत्रित कर रहा है।
पोस्ट प्रांडियल ब्लड शुगर टेस्ट
यह टेस्ट भोजन के लगभग 2 घंटे बाद किया जाता है और यह दर्शाता है कि खाने के बाद शरीर शुगर को कैसे प्रबंधित कर रहा है। सामान्य स्थिति में, पोस्ट प्रांडियल ब्लड शुगर 140 mg/dL से कम होना चाहिए। यदि यह 180 या उससे अधिक है, तो डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
HbA1c टेस्ट
यह टेस्ट पिछले 2 से 3 महीनों की औसत ब्लड शुगर की जानकारी प्रदान करता है। डायबिटीज के मरीजों को हर 3 महीने में यह टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। सामान्य स्तर 5.7 प्रतिशत से कम होना चाहिए, जबकि 6.5 प्रतिशत या उससे अधिक होने पर डायबिटीज की पुष्टि होती है।
ग्लूकोमीटर की तुलना में विश्वसनीयता
इस टेस्ट को अन्य शुगर जांचों की तुलना में अधिक विश्वसनीय माना जाता है। इसके लिए फास्टिंग की आवश्यकता नहीं होती और यह रोजाना होने वाले उतार-चढ़ाव से प्रभावित नहीं होता। यह डायबिटीज से संबंधित जटिलताओं के जोखिम को समझने में भी मददगार साबित होता है।
