जामुन: स्वास्थ्य के लिए 51 अद्भुत लाभ

जामुन की विशेषताएँ
★ जामुन: 51 रोगों का रामबाण इलाज ★
जामुन का पेड़ आम के पेड़ के समान बड़ा होता है, जिसकी ऊँचाई लगभग 20 से 25 मीटर तक होती है। इसके पत्ते 2 से 6 इंच लंबे और 2 से 3 इंच चौड़े होते हैं। जामुन की छाल का रंग सफेद-भूरा होता है। इसके फूल अप्रैल में खिलते हैं और फल जुलाई से अगस्त में पकते हैं। कच्चे जामुन का रंग हरा होता है, जबकि पके जामुन का रंग बैगनी, नीला या काला होता है। इसका स्वाद कड़वा, मीठा और खट्टा होता है। जामुन में एक बीज होता है और यह छोटी और बड़ी दोनों प्रकारों में उपलब्ध है।
जामुन के स्वास्थ्य लाभ
बड़ी जामुन का पेड़: यह गर्म, मीठा और मलस्तम्भक होता है, जो श्वास, सूजन, थकान, अतिसार, कफ और ऊर्ध्वरस को समाप्त करता है।
जामुन का फल: यह मीठा, खट्टा, रुचिकर और शीतल होता है।
जामुन में पाए जाने वाले तत्व:
प्रोटीन | 0.7 प्रतिशत |
वसा | 0.1 प्रतिशत |
कार्बोहाइड्रेट | 19.7 प्रतिशत |
पानी | 78.0 प्रतिशत |
विटामिन बी | थोड़ी मात्रा में |
फॉलिक | थोड़ी मात्रा में |
कैल्शियम | 0.02 प्रतिशत |
फास्फोरस | 0.01 प्रतिशत |
लौह | 1.00 मि.ग्रा./100 ग्राम |
विटामिन सी | थोड़ी मात्रा में |
वैज्ञानिक दृष्टिकोण: जामुन में लौह और फास्फोरस की अच्छी मात्रा होती है। यह मधुमेह, पथरी, लीवर, तिल्ली और रक्त की गंदगी को दूर करने में सहायक है।
जामुन के विभिन्न नाम
जामुन के नाम विभिन्न भाषाओं में:
हिन्दी | जामुन |
अंग्रेजी | जाम्बुल ट्री |
लैटिन | युजेनिया जाम्बोलेना |
संस्कृत | राजजम्बू |
मराठी | जाम्भुल |
गुजराती | जांबू |
बंगाली | बड़जाम, कालजाम |
जामुन के सेवन के लाभ और सावधानियाँ
हानिकारक प्रभाव: जामुन का अधिक सेवन गैस, बुखार, सीने में दर्द, कफ वृद्धि और वात विकारों का कारण बन सकता है। इसके रस को दूध के साथ नहीं लेना चाहिए।
विशेष:
1. जामुन को हमेशा भोजन के बाद ही खाना चाहिए।
2. जामुन खाने के तुरंत बाद दूध नहीं पीना चाहिए।
जामुन के दोषों को दूर करने के लिए कालानमक, काली मिर्च और सोंठ का चूर्ण छिड़ककर खाना फायदेमंद होता है।