गले की खराश के लिए काढ़ा: एक प्रभावी घरेलू उपाय

गले में खराश और मौसमी बदलावों के बीच, काढ़ा एक प्रभावी घरेलू उपाय साबित हो सकता है। जानें कैसे अदरक, हल्दी और तुलसी जैसे आयुर्वेदिक तत्व मिलकर गले की समस्याओं को दूर करते हैं। इस लेख में गर्मी में काढ़ा बनाने की विधि और इसके स्वास्थ्य लाभों के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
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गले की खराश के लिए काढ़ा: एक प्रभावी घरेलू उपाय

गले में दर्द: मौसमी बदलाव का प्रभाव

जून की गर्मी अब पहले जैसी नहीं रही है। कहीं तेज धूप है, तो कहीं बारिश का मौसम। इस मौसम के बदलाव ने लोगों की सेहत पर भी असर डाला है।


विशेष रूप से वायरल संक्रमण के मामलों में वृद्धि हुई है। गले में खराश होना अब आम बात बन गई है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या पारंपरिक घरेलू उपाय, जैसे काढ़ा, आज भी प्रभावी है?


काढ़ा: एक आयुर्वेदिक अमृत

गले की खराश के लिए काढ़ा पीना एक पुरानी परंपरा की तरह लगता है, लेकिन इसके पीछे एक ठोस वैज्ञानिक आधार है। काढ़ा एक हर्बल पेय है, जिसमें आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का समावेश होता है।


इसमें अदरक और हल्दी मुख्य सामग्री होती हैं, जिनमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। ये सूजन को कम करने, बलगम को साफ करने और गले को आराम देने में मदद करते हैं।


गर्मी में काढ़ा बनाने के टिप्स

अब बात करते हैं कि गर्मी में काढ़ा कैसे बनाएं ताकि यह फायदेमंद हो और शरीर पर गर्मी का असर न पड़े।


पहले, एक गहरे बर्तन में पानी उबालें और उसमें तुलसी के ताजे पत्ते और एक चम्मच अजवायन डालें।


फिर, एक छोटा टुकड़ा कद्दूकस की हुई हल्दी और थोड़ी सी कुटी हुई अदरक डालें। स्वाद बढ़ाने के लिए गुड़ मिलाएं, जिससे गले को राहत मिलेगी।


जब काढ़ा आधा रह जाए, तो इसे छानकर गुनगुना पीना शुरू करें। गर्मी के मौसम में ध्यान रखें कि काढ़ा बहुत गर्म न हो, क्योंकि यह नुकसान भी कर सकता है।


क्यों है यह देसी नुस्खा प्रभावी?

अजवाइन में एंटी-बैक्टीरियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो संक्रमण से लड़ते हैं, जबकि तुलसी गले की सूजन को कम करती है और सर्दी-खांसी से राहत देती है।


हल्दी एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक है और अदरक शरीर की गर्मी को संतुलित रखता है।


जब ये सभी तत्व मिलते हैं, तो ये न केवल गले की खराश को दूर करते हैं, बल्कि आपकी इम्यूनिटी को भी मजबूत करते हैं।