इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए प्रभावी आयुर्वेदिक चूर्ण

इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करने के उपाय
आपने देखा होगा कि सर्दी, खांसी और जुकाम जैसी समस्याएं उन लोगों में अधिक होती हैं जिनका इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर होता है। ऐसे लोग अक्सर बीमारियों का शिकार होते रहते हैं।
इसलिए, दवाइयों का सेवन करने से बेहतर है कि आप अपने इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करें। जब आपका इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होगा, तो आप सर्दी, खांसी और जुकाम जैसी समस्याओं को भूल जाएंगे। इसके अलावा, एक मजबूत इम्यूनिटी आपको कई अन्य बीमारियों से भी बचाएगी।
आज हम आपको एक विशेष चूर्ण के बारे में बताएंगे, जो आपके इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करने में मदद करेगा। यह चूर्ण लगभग सभी आयुर्वेदिक स्टोर्स पर उपलब्ध है।
चूर्ण बनाने के लिए आवश्यक सामग्री
पुनर्नवा – 50 ग्राम
हल्दी – 30 ग्राम
गिलोय पाउडर – 50 ग्राम
नीम के पत्ते – 30 ग्राम
चूर्ण बनाने की विधि
हल्दी और नीम के पत्ते आपको घर पर मिल जाएंगे, लेकिन गिलोय पाउडर और पुनर्नवा आपको बाजार से खरीदने होंगे। इन सभी सामग्रियों को अच्छे से मिलाकर मिक्सी या कूटने वाले पत्थर पर पीस लें। इसके बाद, इस चूर्ण को किसी कांच के जार में भरकर सुरक्षित रखें।
चूर्ण का सेवन कैसे करें
सुबह खाली पेट, नाश्ते से पहले एक चम्मच चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ लें। इस चूर्ण का सेवन दिन में केवल एक बार करना है। इसके नियमित सेवन से आपके शरीर में सकारात्मक बदलाव आएगा, और जो भी आप खाएंगे, वह अच्छे से पचेगा। यह चूर्ण कई बीमारियों से भी बचाव करेगा।
अन्य उपयोगी आयुर्वेदिक चूर्ण
आयुर्वेद में कई महत्वपूर्ण चूर्ण हैं, जिन्हें आपातकाल में उपयोगी माना जाता है।
अश्वगन्धादि चूर्ण: यह दिमाग की कमजोरी और शारीरिक ताकत को बढ़ाता है। मात्रा: 5 से 10 ग्राम दूध के साथ।
अविपित्तकर चूर्ण: यह अम्लपित्त की सर्वोत्तम दवा है। मात्रा: 3 से 6 ग्राम पानी के साथ।
आमलकी रसायन चूर्ण: यह पौष्टिक और पित्त नाशक है। मात्रा: 3 ग्राम पानी के साथ।
जातिफलादि चूर्ण: यह पेट की समस्याओं को दूर करता है। मात्रा: 1.5 से 3 ग्राम शहद के साथ।
दाडिमाष्टक चूर्ण: यह अजीर्ण और अग्निमांद्य में लाभकारी है। मात्रा: 3 से 5 ग्राम भोजन के बाद।
चातुर्भद्र चूर्ण: यह बच्चों के सामान्य रोगों में उपयोगी है। मात्रा: 1 से 4 रत्ती शहद के साथ।
चोपचिन्यादि चूर्ण: यह उपदंश और वातव्याधि पर लाभकारी है। मात्रा: 1 से 3 ग्राम जल या शहद के साथ।
पुष्यानुग चूर्ण: यह स्त्री रोगों में लाभकारी है। मात्रा: 2 से 3 ग्राम सुबह-शाम।
यवानिखांडव चूर्ण: यह उदर रोगों में गुणकारी है। मात्रा: 3 से 6 ग्राम।
लवणभास्कर चूर्ण: यह पाचन में मदद करता है। मात्रा: 3 से 6 ग्राम।
लवांगादि चूर्ण: यह वात, पित्त और कफ नाशक है। मात्रा: 3 ग्राम।
व्योषादि चूर्ण: यह खांसी और जुकाम में लाभकारी है। मात्रा: 3 से 5 ग्राम।
शतावरी चूर्ण: यह शक्ति वर्धक है। मात्रा: 5 ग्राम।
स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण: यह हल्का दस्तावर है। मात्रा: 3 से 6 ग्राम।
सारस्वत चूर्ण: यह बुद्धि और स्मृति बढ़ाता है। मात्रा: 1 से 3 ग्राम।
सितोपलादि चूर्ण: यह पुराना बुखार और भूख न लगने में लाभकारी है। मात्रा: 1 से 3 ग्राम।
महासुदर्शन चूर्ण: यह सभी प्रकार के बुखार में लाभकारी है। मात्रा: 3 से 5 ग्राम।
सैंधवादि चूर्ण: यह अग्निवर्धक है। मात्रा: 2 से 3 ग्राम।
हिंग्वाष्टक चूर्ण: यह पेट की वायु को साफ करता है। मात्रा: 3 से 5 ग्राम।
त्रिकटु चूर्ण: यह खांसी और कफ नाशक है। मात्रा: 1/2 से 1 ग्राम।
त्रिफला चूर्ण: यह कब्ज और रक्त विकारों को दूर करता है। मात्रा: 1 से 3 ग्राम।
श्रृंग्यादि चूर्ण: यह बच्चों के श्वास और खांसी में लाभकारी है। मात्रा: 2 से 4 रत्ती।
अग्निमुख चूर्ण: यह उदर रोगों में लाभकारी है। मात्रा: 3 ग्राम।
माजून मुलैयन: यह दस्त साफ करने के लिए प्रसिद्ध है। मात्रा: 10 ग्राम।
नोट: इन चूर्णों का सेवन करने से पहले अपने नजदीकी आयुर्वेदाचार्य से परामर्श अवश्य करें।