अर्जुन की छाल का काढ़ा: स्वास्थ्य के लिए लाभकारी उपाय

अर्जुन की छाल का महत्व
बागभट्ट जी ने सुबह दूध पीने से मना किया है, लेकिन चाय में दूध का उपयोग होता है। बागभट्ट जी के ग्रंथों में चाय का उल्लेख नहीं है, क्योंकि यह 250 साल पहले अंग्रेजों द्वारा लाई गई थी।
हालांकि, उन्होंने काढ़े का उल्लेख किया है। उनका कहना है कि जो काढ़ा वात, पित्त और कफ को कम करे, उसे सुबह दूध में मिलाकर पीना चाहिए। अर्जुन की छाल का काढ़ा वात को कम करने में मदद करता है और रक्त की एसिडिटी को भी नियंत्रित करता है, जो हार्ट अटैक का कारण बन सकती है।
सर्दियों में अर्जुन की छाल का सेवन

नवंबर से फरवरी के बीच वात का प्रकोप बढ़ता है। इस समय अर्जुन की छाल का काढ़ा गर्म दूध में मिलाकर पीना औषधीय लाभ देता है। ध्यान रखें कि यह काढ़ा हमेशा गर्म होता है, इसलिए इसे ठंड के मौसम में ही उपयोग करें। यदि आप सुबह दूध पीना चाहते हैं, तो इसे अर्जुन की छाल के काढ़े के साथ मिलाकर पिएं।
इससे आपको दो लाभ होंगे: हार्ट अटैक का खतरा कम होगा और शरीर से विषैले तत्व साफ होंगे, क्योंकि यह काढ़ा रक्त को शुद्ध करता है।
अर्जुन की छाल का काढ़ा कैसे बनाएं
अर्जुन की छाल का काढ़ा बनाने के लिए एक गिलास दूध में आधा चम्मच अर्जुन की छाल का पाउडर मिलाएं। यदि गुड़ मिलाएं तो और भी अच्छा होगा। अगर गुड़ नहीं है, तो तरल गुड़ या खांड का उपयोग करें। चीनी का उपयोग न करें, लेकिन मिश्री का उपयोग किया जा सकता है। सोंठ मिलाने से काढ़ा और भी प्रभावी हो जाएगा।
कौन-कौन सी बीमारियों से मिलेगी राहत
इस काढ़े का सेवन करने से वात संबंधी बीमारियों जैसे घुटने का दर्द, कंधे का दर्द, डायबिटीज और हार्ट अटैक से राहत मिल सकती है।