ब्रेस्ट फीड वीक: इन चीजों से बढ़ाएं मां का दूध, नई माताओं के लिए खास टिप्स

नई दिल्ली, 2 अगस्त (आईएएनएस)। हर साल अगस्त के पहले सप्ताह को 'विश्व स्तनपान सप्ताह' के रूप में मनाया जाता है, जिसका मकसद नई माताओं और समाज को स्तनपान के महत्व के प्रति जागरूक करना है। नवजात शिशु के पहले छह महीनों तक केवल मां का दूध ही उसका संपूर्ण पोषण होता है, जो उसे बीमारियों से बचाने के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक विकास में भी सहायक होता है। लेकिन आज की तेज रफ्तार जिंदगी और बदलती जीवनशैली, खासकर कामकाजी महिलाओं के लिए स्तनपान को बनाए रखना चुनौती बनता जा रहा है। वहीं कई बार जानकारी के अभाव में महिलाएं यह नहीं समझ पातीं कि उनका आहार भी ब्रेस्ट मिल्क प्रोडक्शन में बड़ा योगदान देता है।
 | 
ब्रेस्ट फीड वीक: इन चीजों से बढ़ाएं मां का दूध, नई माताओं के लिए खास टिप्स

नई दिल्ली, 2 अगस्त (आईएएनएस)। हर साल अगस्त के पहले सप्ताह को 'विश्व स्तनपान सप्ताह' के रूप में मनाया जाता है, जिसका मकसद नई माताओं और समाज को स्तनपान के महत्व के प्रति जागरूक करना है। नवजात शिशु के पहले छह महीनों तक केवल मां का दूध ही उसका संपूर्ण पोषण होता है, जो उसे बीमारियों से बचाने के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक विकास में भी सहायक होता है। लेकिन आज की तेज रफ्तार जिंदगी और बदलती जीवनशैली, खासकर कामकाजी महिलाओं के लिए स्तनपान को बनाए रखना चुनौती बनता जा रहा है। वहीं कई बार जानकारी के अभाव में महिलाएं यह नहीं समझ पातीं कि उनका आहार भी ब्रेस्ट मिल्क प्रोडक्शन में बड़ा योगदान देता है।

आयुर्वेद और विज्ञान में कुछ प्राकृतिक खाद्य पदार्थों का सेवन स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद माना गया है।

आयुर्वेदिक सुझावों में मेथी दाने, सौंफ, शतावरी, हरी पत्तेदार सब्जियों आदि को वरदान माना गया है, जिनका सेवन करने से नई माताओं का ब्रेस्ट मिल्क अच्छी तरह से बनता है।

सबसे पहले बात करें 'मेथी दाने' की, तो भारत सरकार के भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) की वेबसाइट के मुताबिक, मेथी में हाइपोकॉलेस्टेरोलेमिक, एंटीबैक्टीरियल, एंटी-डायबिटिक, हेपेटोप्रोटेक्टिव और एंटी-कैंसर गुण पाए जाते हैं। यह स्तनपान, हार्मोन संतुलन, पाचन, प्रतिरक्षा और प्रजनन स्वास्थ्य को सहारा देती है। मेथी में मौजूद फाइटोएस्ट्रोजन हार्मोन को संतुलित करता है जिससे ब्रेस्ट मिल्क उत्पादन में मदद मिलती है। इसे रातभर भिगोकर सुबह गुनगुने पानी के साथ सेवन किया जा सकता है या फिर चाय में मिलाकर भी लिया जा सकता है।

मिनिस्ट्री ऑफ नट्स के अनुसार, 'ड्राई फ्रूट्स,' जैसे अखरोट, बादाम, काजू और पिस्ता, न सिर्फ ऊर्जा बढ़ाते हैं बल्कि हेल्दी फैट्स के स्रोत हैं जो हार्मोनल संतुलन बनाकर दूध निर्माण को बढ़ावा देते हैं। इन्हें स्नैक्स के रूप में दिन में एक या दो बार लिया जा सकता है।

हरी पत्तेदार सब्जियों में 'पालक,' 'मेथी,' 'सरसों का साग,' 'लौकी,' और 'तोरी' जैसी सब्जियां विशेष रूप से फायदेमंद होती हैं। इनमें आयरन, कैल्शियम, फाइबर, और आवश्यक विटामिन्स होते हैं जो स्तनपान कराने वाली महिलाओं के पोषण के लिए आवश्यक हैं। खासतौर पर लौकी की सब्जी और दालें दूध की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में सुधार लाती हैं।

'सौंफ के बीज' को आयुर्वेद और विज्ञान में पाचन और हार्मोनल बैलेंस के लिए जाना जाता है। इसका पानी या चाय बनाने पर यह स्तन दूध को बढ़ाने में सहायक होता है।

इसी तरह 'जीरा,' जो कि हर भारतीय रसोई का हिस्सा है, प्रसव के बाद की थकान को कम करता है और दूध उत्पादन को बढ़ाता है। जीरे का पानी दिन में दो बार पीना लाभकारी रहता है।

आयुर्वेदिक औषधियों में 'शतावरी' को महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य में अहम माना गया है। यह दूध बनने की प्रक्रिया को तेज करती है। इसे पाउडर या गोली के रूप में आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अनुसार लिया जा सकता है।

'तिल' में कैल्शियम और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो हार्मोनल बैलेंस को बनाए रखते हैं। तिल से बने लड्डू या सब्जियों में इनका तड़का लगाकर सेवन लाभदायक होता है।

'अलसी के बीज,' जो ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होते हैं, मां के स्वास्थ्य के साथ-साथ ब्रेस्ट मिल्क की मात्रा में भी वृद्धि करते हैं। इन्हें सूखा भूनकर माउथ फ्रेशनर की तरह लिया जा सकता है।

--आईएएनएस

पीके/केआर