ब्रिटिश शोध में सिजोफ्रेनिया के 8 नए जीन की हुई पहचान

नई दिल्ली, 16 अगस्त (आईएएनएस)। सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक बीमारी है। ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने इससे जुड़े आठ नए जीन की खोज की है। इससे इस गंभीर मानसिक विकार की समझ और भविष्य में उपचार के विकास को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
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ब्रिटिश शोध में सिजोफ्रेनिया के 8 नए जीन की हुई पहचान

नई दिल्ली, 16 अगस्त (आईएएनएस)। सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक बीमारी है। ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने इससे जुड़े आठ नए जीन की खोज की है। इससे इस गंभीर मानसिक विकार की समझ और भविष्य में उपचार के विकास को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।

सिजोफ्रेनिया व्यक्ति के सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने के तरीके को मुख्य रूप से प्रभावित करता है। यह कई तरह के लक्षण पैदा कर सकता है, जिनमें मतिभ्रम, भ्रम, अव्यवस्थित सोच और व्यवहार में बदलाव शामिल हैं।

कार्डिफ विश्वविद्यालय के न्यूरो साइकियाट्रिक जेनेटिक्स एंड जीनोमिक्स केंद्र (सीएनजीजी) के वैज्ञानिकों ने इस महत्वपूर्ण अध्ययन में प्रोटीन-कोडिंग जीन में दुर्लभ, उच्च-प्रभाव वाले उत्परिवर्तनों का पता लगाने पर ध्यान केंद्रित किया, जो सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों में काफी आम हैं।

यह शोध नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इसमें दो जीन, एसटीएजी1 और जेडएनएफ136, की पहचान की गई। ये सिजोफ्रेनिया से जुड़े थे और इनके मजबूत आनुवंशिक सबूत मिले हैं।

इसके अलावा छह और जीन मिले हैं- एसएलसी6ए1, केएलसी1, पीसीएलओ, जेडएमवाईएनडी11, बीएससीएल2, और सीजीआरईएफ। इन जीन्स में भी अपेक्षाकृत मध्यम प्रमाण जुड़े पाए गए हैं।

शोध में पाया गया कि एसएलसी6ए1 और केएलसी1 सिजोफ्रेनिया के जोखिम वाले पहले जीन हैं जो केवल मिसेंस वेरिएंट के माध्यम से जुड़े हैं। यह एक विशिष्ट प्रकार का म्यूटेशन है जो प्रोटीन के अमीनो-एसिड अनुक्रम को बदल देता है।

कार्डिफ विश्वविद्यालय में डॉक्टरेट की छात्रा सोफी चिक ने कहा, "ये निष्कर्ष जानकारीपूर्ण हैं क्योंकि ये बताते हैं कि सिजोफ्रेनिया कोशिकाओं के भीतर डीएनए के संगठन में बदलाव और मस्तिष्क कोशिकाओं द्वारा जीएबीए नामक रसायन का उपयोग करके संचार करने के तरीके में व्यवधान से जुड़ा हो सकता है।"

उन्होंने आगे कहा, "ये परिणाम सिजोफ्रेनिया के जटिल तंत्रिका जीव विज्ञान के बारे में हमारी समझ को और बढ़ाते हैं और हमें दवा की खोज को आगे बढ़ाने और उपचार में सुधार के लक्ष्य के करीब लाते हैं।"

इस शोध में सिजोफ्रेनिया से पीड़ित 28,898 मरीज, इस बीमारी से मुक्त 103,041 व्यक्तियों और इस विकार से प्रभावित 3,444 परिवारों के आनुवंशिक डेटा का विश्लेषण किया गया।

यह शोध सिज़ोफ्रेनिया और अन्य न्यूरो डेवलपमेंट (तंत्रिका-विकास संबंधी) बीमारियों के बीच साझा आनुवंशिक जड़ों (मिलते-जुलते जीन) के मामले को और मजबूत करता है। कार्डिफ यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के प्रमुख लेखक डॉ. इलियट रीस का कहना है कि इन विशिष्ट जीन्स का पता लगाना एक बड़ी चुनौती रही।

हालांकि इन आनुवंशिक खोजों को उपचार में बदलने में समय लगेगा, लेकिन ये परिणाम भविष्य में दवा विकास और लक्षित उपचारों के मार्गदर्शन के लिए नई आशा प्रदान करते हैं।

–आईएएनएस

जेपी/एएस