मुंह और आंत के बैक्टीरिया बढ़ा सकते हैं पार्किंसंस रोग की गंभीरता : अध्ययन

नई दिल्ली, 10 जून (आईएएनएस)। एक नए अध्ययन में पता चला है कि मुंह और आंत में मौजूद बैक्टीरिया पार्किंसंस रोग में याददाश्त और सोचने-समझने की क्षमता कम होने की समस्या को और गंभीर बना सकते हैं।
यह शोध किंग्स कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों ने किया, जिन्होंने पाया कि आंत के बैक्टीरिया में बदलाव इस बीमारी के लक्षणों को और बिगाड़ सकते हैं।
पार्किंसंस की वर्तमान में अपने शुरुआती चरणों में पहचान करना बहुत मुश्किल है, माइक्रोबायोम में ये बदलाव बीमारी के शुरुआती संकेतों के रूप में काम कर सकते हैं, जिससे डॉक्टर्स को समय रहते इसका पता लगाने और इलाज करने में मदद मिल सकती है।
किंग्स कॉलेज के शोधकर्ता डॉ. सईद शोए ने बताया, “मुंह और आंत के बैक्टीरिया मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियों को प्रभावित करते हैं। इनमें होने वाला असंतुलन सूजन और प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित कर सकता है, जो मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है।”
‘गट माइक्रोब्स’ जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में 228 लोगों के लार और मल के नमूनों का विश्लेषण किया गया। इनमें पार्किंसंस के मरीजों के दो समूह थे। एक में हल्की कॉग्निटिव समस्याएं देखी गई और दूसरे में डिमेंशिया की समस्या थी। इनकी तुलना स्वस्थ लोगों से की गई। नतीजों में पाया गया कि जिन लोगों में कॉग्निटिव समस्याएं थीं, उनकी आंत में हानिकारक बैक्टीरिया ज्यादा थे, जो संभवतः मुंह से आंत में पहुंचे थे।
इसे ‘ओरल-गट ट्रांसलोकेशन’ कहा जाता है, जहां मुंह के बैक्टीरिया आंत में जाकर सूजन और विषाक्त पदार्थ पैदा करते हैं, जो मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
शोध सहयोगी डॉ. फ्रेडरिक क्लासेन ने कहा, “हमें नहीं पता कि ये बैक्टीरिया कॉग्निटिव गिरावट का कारण हैं या बीमारी के कारण बढ़ते हैं, लेकिन वे लक्षणों को और खराब करते हैं।”
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से इन बैक्टीरिया और उनके विषाक्त पदार्थों को पहचाना गया, जो भविष्य में इलाज के लिए मदद कर सकते हैं।
--आईएएनएस
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