दुनिया भर में 2.1 अरब लोगों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध नहीं : संयुक्त राष्ट्र

जिनेवा, 26 अगस्त (आईएएनएस)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और यूनिसेफ की एक ताजा संयुक्त रिपोर्ट ने साफ किया है कि आज भी दुनिया में लगभग 2.1 अरब लोग, यानी हर चार में से एक व्यक्ति, सुरक्षित पेयजल तक पहुंच से वंचित है।
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दुनिया भर में 2.1 अरब लोगों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध नहीं : संयुक्त राष्ट्र

जिनेवा, 26 अगस्त (आईएएनएस)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और यूनिसेफ की एक ताजा संयुक्त रिपोर्ट ने साफ किया है कि आज भी दुनिया में लगभग 2.1 अरब लोग, यानी हर चार में से एक व्यक्ति, सुरक्षित पेयजल तक पहुंच से वंचित है।

‘विश्व जल सप्ताह 2025’ के दौरान जारी इस रिपोर्ट के अनुसार, करीब 10.6 करोड़ लोग अब भी सीधे अनुपचारित सतही जल स्रोतों से पानी पीते हैं।

रिपोर्ट बताती है कि पिछले दशक में प्रगति जरूर हुई है, लेकिन अरबों लोग आज भी जल, स्वच्छता और स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी सुविधाओं से दूर हैं। इसका सीधा असर उनके स्वास्थ्य और सामाजिक स्थिति पर पड़ रहा है।

3.4 अरब लोग सुरक्षित स्वच्छता सुविधाओं से वंचित हैं। इनमें से 35.4 करोड़ लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं। 1.7 अरब लोगों के पास बुनियादी स्वच्छता सेवाएं नहीं हैं, जबकि 61.1 करोड़ लोगों को किसी भी सुविधा तक पहुंच नहीं है।

कम विकसित देशों में यह समस्या और भी गंभीर है। वहां के लोगों के लिए बुनियादी पेयजल और स्वच्छता सेवाओं की कमी की संभावना अन्य देशों की तुलना में दोगुनी से ज्यादा है।

वहीं, स्वच्छता सेवाओं के मामले में यह संभावना तीन गुना तक अधिक पाई गई।

डब्ल्यूएचओ के पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डॉ. रूडिगर क्रेच ने कहा, "जल, स्वच्छता और सफाई किसी विशेषाधिकार का विषय नहीं, बल्कि हर इंसान का बुनियादी मानवाधिकार है। यदि हमें सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करना है, तो हमें अपनी कोशिशें तेज करनी होगी, खासकर सबसे वंचित समुदायों तक पहुंच बनाने के लिए।"

70 देशों से जुटाए गए आंकड़ों से यह भी सामने आया कि अधिकतर महिलाओं और किशोरियों के पास मासिक धर्म के दौरान कपड़े बदलने की निजी जगह तो होती है, लेकिन पर्याप्त सामग्री की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

यूनिसेफ की वॉश (डब्ल्यूएएसएच) निदेशक सेसिलिया शार्प ने कहा, "जब बच्चों को साफ पानी और स्वच्छता की सुविधा नहीं मिलती, तो उनका स्वास्थ्य, पढ़ाई और भविष्य खतरे में पड़ जाता है। खासकर लड़कियों को इसका बोझ ज्यादा उठाना पड़ता है, चाहे पानी लाने की जिम्मेदारी हो या मासिक धर्म के दौरान आने वाली दिक्कतें।"

उन्होंने चेतावनी दी कि वर्तमान गति से हर बच्चे को सुरक्षित पानी और स्वच्छता उपलब्ध कराने का वादा अधूरा रह जाएगा। इसके लिए तेज और ठोस कदम उठाने होंगे।

--आईएएनएस

जेपी/एबीएम